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दशाश्वमेध प्लाजा की 24 दुकानें कर रही खरीददारों का इंतजार

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वाराणसी का दशाश्वमेध प्लाजा, जो गंगा किनारे अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है, फिलहाल सुर्खियों में है। करोड़ों रुपये की लागत से बने इस प्रोजेक्ट में 24 दुकानें अब तक खरीददारों का इंतजार कर रही हैं। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) द्वारा बार-बार ई-ऑक्शन आयोजित करने के बावजूद, इन दुकानों को लेने के लिए कोई उत्सुकता नहीं दिखा रहा है।

144 दुकानों में से 24 अब भी खाली

दशाश्वमेध प्लाजा में कुल 144 दुकानें हैं, जिनमें से अधिकांश बिक चुकी हैं। लेकिन प्लाजा के अंडरग्राउंड हिस्से में स्थित 24 दुकानों को अब “अलोकप्रिय” घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है। वीडीए हर माह 5-11 और 20-26 तारीख के बीच ई-ऑक्शन आयोजित करता है, लेकिन इन दुकानों के लिए कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है।

वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने नगर आयुक्त के साथ बैठक में इस स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बार-बार की नीलामी के बाद भी दुकानें न बिकने की स्थिति में इन्हें शासनादेश के तहत “अलोकप्रिय” घोषित करने की कार्रवाई की जाएगी।

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25 करोड़ की लागत से बना प्लाजा

दशाश्वमेध प्लाजा विश्वनाथ मंदिर से महज 200 मीटर की दूरी पर स्थित है और इसे वाराणसी विकास प्राधिकरण व स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 25 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। चुनार के लाल पत्थरों से निर्मित यह प्लाजा अपनी संरचनात्मक सुंदरता और आधुनिक सुविधाओं के लिए जाना जाता है।

किश्त न भरने वालों पर कार्रवाई होगी

बैठक में उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि जिन आवंटियों ने पहले से दुकानें ले रखी हैं, लेकिन अब तक किश्त जमा नहीं की है, उनके खिलाफ निरस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

भविष्य की योजनाएं

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दशाश्वमेध प्लाजा को अधिक व्यावसायिक रूप से उपयोगी बनाने के लिए छत पर शर्तों के अधीन जियो टॉवर लगाने की अनुमति दी गई है। हालांकि, प्लाजा की खाली दुकानों और कमजोर व्यावसायिक प्रदर्शन को लेकर अधिकारियों को अब अपनी रणनीतियों पर गहन विचार करना होगा। बनारस, जो गलियों और चहल-पहल के लिए मशहूर है, वहां दशाश्वमेध प्लाजा का खाली रहना चिंता का विषय है। यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह भव्य प्रोजेक्ट अपने उद्देश्य को पूरा करने में असफल रह सकता है।

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