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एलबीएस अस्पताल में हुआ चिपकी जीभ का सफल आपरेशन

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डॉ की तत्परता से बच्चे का जीना हुआ आसान

वाराणसी।  खाने पीने की और बोलने की समस्या होने के साथ सात वर्षीय अमित पुत्र चन्द्रमा निवासी निहूपुर, साहुपुरी, चंदौली ने लाल बहादुर शास्त्री राजकीय जिला चिकित्सालय में वाह्य रोगी विभाग में लाया गया, जहाँ पर डॉ रिची सिन्हा ने बच्चे को देखा, जिसकी जीभ चिपकी हुई थी| डॉ सिन्हा ने अभिभावकों को बच्चे का आपरेशन कराने की सलाह दी| अभिभावकों की सहमति से बच्चे को देखने के बाद डॉ सिन्हा ने बच्चे का आपरेशन करने का निर्णय लिया, और बच्चे की चिपकी जीभ का सफल ऑपरेशन किया गया। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य है। इस सम्बन्ध में अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जीसी द्विवेदी ने बताया कि चिपकी जीभ कुछ बच्चों में जन्म से ही पाई जाती है और इस स्थिति में जीभ का तंतु (फ्रेनुलम) इतना छोटा होता है कि वह जीभ को मुंह के तलवे से बांध देता है। जिसकी वजह से वह ज्यादा ऊपर नहीं उठ पाती। इस कारण जीभ अधिक हिल नहीं पाती। उन्होंने बताया कि टंग टाई की समस्या लगभग पांच से दस फीसदी बच्चों में पायी जाती है।


*मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी* ने बताया कि चिपकी हुई जीभ एक ऐसी समस्या है जो शिशु में जन्म के दौरान ही मौजूद होती है, इसलिए इस स्थिति से बचाव करना संभव नहीं है। हालांकि चिपकी हुई जीभ का इलाज उपलब्ध है। बच्चों व वयस्कों में टंग टाई का इलाज करने के लिए उन्हें बेहोश कर दिया जाता है और फिर जीभ व उसके नीचे के हिस्से को अलग कर दिया जाता है। जीभ के चिपके हुए हिस्से को अलग करने के लिए चीरा लगाया जाता है और फिर उसमें टांके लगा दिए जाते हैं।


चिपकी हुई जीभ का इलाज ना करने पर भी कई बार किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है। बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ-साथ मुंह विकसित होने लगता है और नीचे के ऊतक भी बढ़ जाते हैं। हालांकि चिपकी हुई जीभ से कई बार कुछ समस्याएं पैदा हो जाती हैं, जैसे बोलने में दिक्कत या भोजन ना खा पाना। इसलिए यदि किसी बच्चे में इस तरह की समस्या पायी जाती है तो जल्दी से जल्दी अस्पताल में दिखाकर इलाज करा लेना चाहिए|

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