Connect with us

धर्म-कर्म

वाराणसी : संत रैदास की जन्मस्थली के बोर्ड पर विवाद शुरू, पीडब्ल्यूडी के बोर्ड पर ट्रस्ट ने जताई आपत्ति

Published

on

वाराणसी : संत रैदास की जन्मस्थली के बोर्ड पर विवाद शुरू हो गया है। पीडब्ल्यूडी द्वारा लहरतारा क्षेत्र में संत रविदास जन्मस्थली का बोर्ड लगाने के बाद संत रविदास चैरिटेबल ट्रस्ट ने आपत्ति दर्ज कराई है और बोर्ड हटाने की मांग की है, जबकि जन्मस्थली से जुड़े पक्ष ने लहरतारा को ही संत की जन्मस्थली बताया है। संत रैदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धनपुर को कई सालों से लोग जानते हैं लेकिन पीडब्ल्यूडी द्वारा लहरतारा क्षेत्र में संत रविदास जन्मस्थली का बोर्ड लगाने के बाद से नया विवाद शुरू हो गया है।

बोर्ड के अनुसार संत रैदास की जन्मस्थली, संत कबीर की जन्मस्थली से महज दो सौ मीटर दूरी पर है।श्रीसंत शिरोमणि गुरु रविदास सेवा समिति के प्रबंधक प्रभु प्रसाद ने बताया कि संत रैदास ने अपनी रचनाओं में अपने जन्म स्थान का उल्लेख करते हुए कहा है कि -‘काशी ढिग माडुर स्थाना, शुद्र वरण करत गुजराना। माडुर नगर में लीन अवतारा, रविदास शुभ नाम हमारा। अर्थात् काशी में एक ऐसा स्थान, जहां शूद्रों की एक बड़ी आबादी निवास करती है, जिसे हम मांडुर नगरी कहते हैं, वहां मेरा जन्म हुआ और मेरा नाम रविदास पड़ा। उनका दावा है कि उनके परदादा ने जन्मस्थान पर मंदिर का निर्माण कराया था।पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता सुग्रीव राम का कहना है कि पीडब्ल्यूडी ने दोनों पक्ष को बुलाया था लेकिन लहरतारा को जन्मस्थली बताने वाले पक्ष के प्रभु प्रसाद ही आए थे और उन्होंने 25 पुराने लेख उपलब्ध कराए।

इसमें माडुर नगर को संत की जन्मस्थली और सीरगोवर्धनपुर को कर्मस्थली बताया गया है। साक्ष्यों की जांच के बाद ही पीडब्ल्यूडी ने वहां जन्मस्थली का बोर्ड लगवा दिया है।  सीरगोवर्धनपुर स्थित संत रविदास चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े पक्षों का कहना है कि हमने पुलिस से इस मामले में शिकायत करके उक्त बोर्ड हटवाने का अनुरोध किया है।

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa

You cannot copy content of this page