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वाराणसी

जगद्गुरु का काशी में भव्य स्वागत, समावेशी भारत अभियान की शुरुआत

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वाराणसी (जयदेश)। मंगलवार को जगद्गुरु बालक देवाचार्य का भव्य स्वागत किया गया। उन्हें राजा तालाब, हरहुआ, बनियापुर, लमही में पुष्पवर्षा और बैंड-बाजे के साथ सम्मानित किया गया। लमही में सुभाष भवन पहुंचने पर, वनवासी समाज के बच्चों ने तीर-धनुष के साथ उनका अभिनंदन किया। दलित समाज की महिलाओं ने राम ध्वजा के साथ स्वागत किया, वहीं मुस्लिम महिलाओं ने आरती कर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर समावेशी भारत अभियान की शुरुआत की गई।जगद्गुरु ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति में कोई भेदभाव नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अपनी महान सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने के लिए एक अभियान चलाया जाएगा, जिसमें सभी धर्म, जाति और लिंग के लोग शामिल होंगे। उनका उद्देश्य लोगों को एकता और भाईचारे का संदेश देना है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में कोई भी व्यक्ति किसी अन्य से अलग नहीं होता।जगद्गुरु ने कहा कि “मैं सबका हूँ, सब मेरे हैं”, और यह संदेश दिया कि धर्म, मजहब, जाति और लिंग से ऊपर उठकर समाज को एकजुट किया जाएगा।

उन्होंने अपनी बातों में भारतीय संस्कृति की समावेशिता पर जोर दिया और बताया कि यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण का समय है।विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने भी समावेशी भारत अभियान के शुभारंभ पर भारतीय संस्कृति के समावेशी रूप की बात की और कहा कि हमें अपनी इतिहास से प्रेरणा लेकर सभी को एक सूत्र में जोड़ने का काम करना होगा।

समारोह में बड़ी संख्या में हिन्दू और मुसलमान समुदाय के लोग एक साथ पहुंचे, जिन्होंने जगद्गुरु का अभिनंदन किया और उनके संदेश को अपना समर्थन दिया। इस अवसर पर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भी अपने विचार रखे, और जगद्गुरु की शिक्षाओं को सभी समाजों में फैलाने की बात की।इस कार्यक्रम में डॉ. अर्चना भारतवंशी द्वारा संचालन किया गया और कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे, जो इस समावेशी समाज की दिशा में काम कर रहे हैं।

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