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धीरेंद्र शास्त्री की जितनी उम्र, उससे ज्यादा मेरी तपस्या : ममता कुलकर्णी

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बाबा रामदेव पर साधा निशाना, कहा – महाकाल और महाकाली का डर होना चाहिए

महाकुंभ में ममता कुलकर्णी की नई तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें वे चेहरे पर भस्म शृंगार किए हुए नजर आ रही हैं। हाल ही में उन्हें किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी, जिसके बाद से यह मामला लगातार सुर्खियों में है।

महामंडलेश्वर बनने पर संतों का विरोध, ममता का पलटवार

24 जनवरी को किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पदवी दी थी। इस फैसले का योग गुरु बाबा रामदेव और बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री समेत कई संतों ने विरोध किया। विरोध के जवाब में ममता कुलकर्णी ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री की जितनी उम्र है, उससे ज्यादा उन्होंने तपस्या की है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि उनके गुरु रामभद्राचार्य दिव्यदृष्टि रखते हैं, वे पूछ सकते हैं कि ममता कुलकर्णी कौन हैं।

बाबा रामदेव पर साधा निशाना, कहा – महाकाल और महाकाली का डर होना चाहिए

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बाबा रामदेव के विरोध पर ममता कुलकर्णी ने कहा कि संत बनने के लिए वर्षों की साधना जरूरी होती है, लेकिन आजकल किसी को भी महामंडलेश्वर बना दिया जाता है। उन्होंने कहा, “बाबा रामदेव को महाकाल और महाकाली से डरना चाहिए। मैं उन्हें उनके ऊपर छोड़ती हूं।”

विवाद के बीच किनर अखाड़े से निष्कासन का दावा

किन्नर अखाड़े के संस्थापक बताने वाले ऋषि अजय दास ने दावा किया कि उन्होंने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी को अखाड़े से निष्कासित कर दिया है। उन्होंने कहा कि ममता कुलकर्णी पर देशद्रोह का आरोप है और ऐसे व्यक्ति को महामंडलेश्वर बनाना अनुचित है। हालाँकि, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि अजय दास का अखाड़े से कोई संबंध नहीं है।

महामंडलेश्वर बनने के लिए पैसे देने के आरोपों पर सफाई

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ममता कुलकर्णी पर महामंडलेश्वर बनने के लिए पैसे देने के आरोप भी लगे। इस पर उन्होंने कहा कि उनके बैंक खाते सीज हैं और उन्होंने 2 लाख रुपये उधार लेकर गुरु को भेंट स्वरूप दिए हैं।

ममता कुलकर्णी का भव्य पट्टाभिषेक

महाकुंभ में 24 जनवरी को किन्नर अखाड़े में ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक किया गया। संगम में स्नान और पिंडदान के बाद यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। महामंडलेश्वर बनने के बाद उनका नया नाम “श्रीयामाई ममता नंद गिरी” रखा गया। वे लगभग एक सप्ताह तक महाकुंभ में रहीं और भस्म शृंगार कर भगवान महाकाल का आशीर्वाद लिया।

इस पूरे विवाद के बीच महामंडलेश्वर ममता कुलकर्णी अपने फैसले पर अडिग हैं और विरोधियों को करारा जवाब दे रही हैं।

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