वाराणसी
सोमवार को मनाया गया ग्लोबल आयोडीन अल्पता निवारण दिवस
आयोडीन की कमी से हो सकता है घेंघा रोग
वाराणसी। प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को ग्लोबल आयोडीन अल्पता निवारण दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आयोडीन की संतुलित मात्रा के उपयोग के बारे में जन-समुदाय को जागरूक करना है। आयोडीन की कमी से मानसिक अवसाद, गर्भावस्था में शिशुओं के विकास पर विपरीत प्रभाव तथा घेंघा रोग हो सकता है। खाना बनाते समय सही मात्रा में आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करना जरूरी है। इसलिए हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है, यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी का|
उन्होंने बताया कि शरीर में थायराइड हार्मोन नामक रसायन बनाने के लिए निश्चित मात्रा में आयोडीन की जरूरत होती है। थायराइड हार्मोन मेटाबॉलिज्म और शरीर के अन्य कार्य को नियंत्रित करता है। इसकी कमी से थायराइड ग्रंथि असंतुलित हो जाती है। जिससे घेंघा रोग, हृदयाघात, मानसिक अवसाद, याददाश्त में कमी, महिलाओं में प्रजनन क्षमता में कमी, पुरुषों और महिलाओं के प्रजनन तंत्र में परेशानी बढ़ सकती है। उन्होंने बताया कि सब्जियां, दही, अंडा, कच्चा पनीर तथा नारियल पानी में आयोडीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है| शरीर स्वाभाविक रूप से आयोडीन का निर्माण नहीं करता है। एक वयस्क को प्रतिदिन 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। जबकि गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को हर दिन 200 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत पड़ती है।
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ वाई बी पाठक ने बताया कि ग्लोबल आयोडीन अल्पता निवारण दिवस के अवसर पर जनपद के सभी ब्लाकों में आयुष्मान आरोग्य मंदिर कार्य क्षेत्र में जन-जागरूकता कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया| जिसमें सभी सीएचओ, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आयुष्मान ब्रांड एंबेसडर (विद्यालयों के शिक्षक), और पंचायती राज संस्था के प्रतिनिधियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
शरीर में आयोडीन की कमी के लक्षण –
गले में सूजन का दिखना
अनियंत्रित रूप से वजन बढ़ना, कमजोरी व थकान
बालों का झड़ना, त्वचा का रुखापन
हृदय की धड़कन असामान्य होना, याद रखने व सीखने में असंतुलन
गर्भधारण व गर्भावस्था में परेशानी और अनियमित मासिक धर्म