वाराणसी
संस्कृत शास्त्रों में निहित ज्ञान राशि के माध्यम से विकसित राष्ट्र का निर्माण होगा — कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा

2047 में भारत एक ऐसा देश होगा जो संभावनाओं से भरपूर होगा और इसमें 21वीं सदी में वैश्विक नेता बनने की क्षमता होगी। यह एक ऐसा राष्ट्र होगा जिसने अपनी वृद्धि और विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी, नवाचार और शिक्षा को अपनाया है और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी स्थिति में होगा।विकसित भारत @2047 के सपने को साकार करने के लिए भारत की युवा शक्ति पर पूर्ण विश्वास है।
11 दिसंबर से 25 दिसंबर 2023 तक कार्यक्रम आयोजित
उक्त विचार आज सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने विकसित भारत @2047 के थीम पर चल रहे दिनाँक 11 दिसंबर से 25 दिसंबर 2023 तक के आयोजित होने वाले कार्यक्रम की शृंखला में व्यक्त किया।
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि भारत में शिक्षा, स्वास्थ,यातायात, कृषि एवं पर्यावरण को गति एवं संतुलन बनाने पर हम विकसित भारत के बुनियाद को मजबूत कर सकेंगे।
संस्कृत शास्त्रों में निहित ज्ञान राशि के व्यापक प्रयोग से प्रत्येक दृष्टिकोण में वैश्विक पटल पर स्थापित होकर उक्त थीम पर कार्य करके सफ़ल हो सकेंगे।हमारे शास्त्र ही हमे भारत,भारतीय एवं भारतीयता से जोड़कर अपनी संस्कृति के वसुधैव कुटुम्बकम का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि
2047 में विकसित भारत का स्वरूप निम्नलिखित दृष्टिकोणों से सारगर्भित हो सकता है:
आर्थिक दृष्टिकोण:
- स्थिर और समृद्ध अर्थव्यवस्था, जिसमें अधिकांश नागरिकों का आत्मनिर्भर और समृद्धि में योगदान हो।
शिक्षा दृष्टिकोण: - उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा सिस्टम, जिसमें विज्ञान, तकनीक, कला, और सामाजिक विज्ञान में नवाचार हो।
स्वास्थ्य दृष्टिकोण: - पूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा, विशेषकर गरीब और असहाय वर्ग के लिए।
- सशक्त चिकित्सा बुनियादें और तकनीकी योगदान।
तकनीक और नवाचार दृष्टिकोण: - अद्यतित तकनीकी उन्नति और नवाचार का प्रमुख स्रोत।
- डिजिटल और उद्यमिता क्षेत्रों में मुख्य योगदान।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण: - सतत विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण और पुनर्निर्माण का प्रमुख ध्यान।
- नई ऊर्जा स्रोतों का उपयोग और प्रोत्साहन।
सामाजिक समृद्धि दृष्टिकोण: - समरस समाज, जिसमें सभी वर्गों के लोगों को समानता और न्याय मिलता है।
- जनसंख्या के साथ सामंजस्यपूर्ण विकास और प्रबंधन।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग दृष्टिकोण:
विश्व स्तर पर सहयोग और विचार-विनमूलन में सकारात्मक भूमिका।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का मजबूती से विकास।
इन सभी दृष्टिकोणों से मिलकर, 2047 में विकसित भारत समृद्धि, सामरिक समानता, और ग्लोबल मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने उक्त थीम पर विश्वविद्यालय में युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए निबंध प्रतियोगिता, वाद- विवाद प्रतियोगिता, शास्त्र चर्चा प्रतियोगिता के साथ अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।