अपराध
ट्रेजरी अधिकारी बनकर पुलिस पेंशनर के खाते से 18 लाख रूपये निकालने वाले गैंग का एक सदस्य जहानाबाद बिहार से गिरफ्तार, धोखाधड़ी में प्रयुक्त मोबाइल बरामद
रिपोर्ट – मनोकामना सिंह
वाराणसी। आवेदक उपेन्द्र कुमार सिंह S/O स्व() जय मंगल सिंह निवासी ग्रा0 सेमरा पो0-सेमरा थाना मोहम्मदाबाद गाजीपुर द्वारा साइबर क्राइम पुलिस थाना वाराणसी पर सूचना दी गयी कि मै पुलिस विभाग से रिटायर हो चुका हूँ। 25 मार्च को मेरे मोबाइल पर से फोन आया उसने बताया कि मैं ट्रेजरी से बोल रहा हूँ, आपका GPF का पैसा आ गया है. आप अपना खाता सं0 व मोबाइल पर प्राप्त OTP बताइये मैने उसे बता दिया, जिसके बाद अगले दिन 26 मार्च को मेरे खाते से कुल 10 ट्रान्जेक्शन मे 18 लाख रुपया धोखे से निकाल लिया गया। जिस पर साइबर क्राइम थाना पर मु0अ0सं0- 0005/2022 धारा 417,420 भादवि व 66 जी आईटी एक्ट पंजीकृत कर विवेचना प्रारम्भ की गयी।
उपरोक्त प्रकरण में उच्चाधिकारीगण को भी अवगत कराया गया था, जिस पर अपर पुलिस महानिदेशक साइबर क्राइम लखनऊ पुलिस अधीक्षक साइबर क्राइम लखनऊ, पुलिस महानिरीक्षक वाराणसी परिक्षेत्र वाराणसी के. सत्यनारायण, क्षेत्राधिकारी पिंडरा /नोडल अधिकारी साइबर क्राइम अभिषेक पाण्डेय द्वारा साक्ष्य संकलन/अनावरण एवं गिरफ्तारी हेतु निर्देशित किया गया था तथा के. सत्यनारायण, पुलिस महानिरीक्षक परिक्षेत्र वाराणसी द्वारा क्रमवार मार्गदर्शन व दिशा निर्देश समय-समय पर दिया गया जिसके अनुपालन में संकलित साक्ष्यों के अवलोकन व सीडीआर एनालिसिस के उपरान्त अभियुक्त दिनेश राम पुत्र भुवर राम निवासी बरूही, थाना- सहार, जपनद भोजपुर बिहार व हाल पता छरिहारी, थाना मखदूमपुर, जहानाबाद बिहार उम्र करीब 27 वर्ष की संलिप्तता प्रमाणित हुई। जिस पर 19 मार्च को स्थान नगर थाना जहानाबाद, बिहार के पास से अभियुक्त दिनेश राम को गिरफ्तार किया गया। मा.न्यायालय जहानाबाद, बिहार से ट्राजिट रिमाण्ड प्राप्त कर थाना हाजा लाया गया। विवेचनात्मक कार्यवाही पूरी कर उपरोक्त अभियुक्त का चालान माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया जा रहा है।
अभियुक्त दिनेश राम पुत्र भुवर राम निवासी बरूही, थाना- सहार, जपनव- भोजपुर, बिहार व हात पता- छरिहारी, थाना मखदुमपुर, जहानाबाद, बिहार उम्र करीब 27 वर्ष ने पूछने पर बताया कि मै नगर पंचायत मखदूमपुर में तीन वर्ष से सफाई कर्मचारी के पद पर कार्य कर रहा हूं तथा में अपनी ससुराल में तीन वर्षों अपने पत्नी के साथ रह रहा हूं, दो साल पहले मेरी मुलाकात आकाश कुमार, दीपक उर्फ दिलीप से हुआ, उनलोगों ने बताया कि हमलोग पेंशनरों/सरकारी कर्मचारियों व अन्य लोगों को फोन कर केवाईसी अपटेड या पेंशन के संबन्ध में खानापूर्ति के नाम फर्जी बैंक अधिकारी/ ट्रेजरी अधिकारी बनकर बैंक संबन्धी जानकारी प्राप्त कर व एनीडेस्क/क्यूकसपोर्ट डाउनलोड कराकर उनके खातों से पैसा गायब कर देते हैं और प्राप्त पैसों को विभिन्न वालेट व खाता में डालकर निकाल लेते है और आपस में बाट लेते है, जिससे काफी लाभ होता है और मै भी लालच में आकर टीम में शामिल हो गया। सर, टीम में सभी का काम बटा है जैसे फर्जी सिम का व्यवस्था करना, फर्जी खाता नंबर का व्यवस्था करना, नेट से सर्च कर कर्मचारियों अधिकारियों व्यक्तियों का नंबर व विवरण प्राप्त करना, कर्मचारियों/अधिकारियों/व्यक्तियों को फोन करना, फर्जी वालेट तैयार करना, ए.टी.एम. से पैसा निकालना, सरकारी लाभ के नाम पर विभिन्न लोगों ए.टी.एम. व पासबुक डाक से मंगाना आदि कार्य हम सभी मिलकर करते है। सर मेरा काम सिम की व्यवस्था करना व डाक से आने वाले बैंक सबन्धी कागजात डाकघर से लाना आदि काम था जिसके एवज में मुझे 5000 से 10000 रूपये समय-समय पर मिलता रहता था। हमलोग अपना नाम व पता हमेशा गलत बताते है और ज्यादा समय तक एक ही स्थान पर नहीं रहते है।
पलिस टीम के सदस्य थाना साइबर क्राइम वाराणसी में निरीक्षक विजय नारायण मिश्र, हे.का. आलोक कुमार सिंह, हे.का. प्रभात कुमार द्विवेदी, का. गौतम कुमार व का. राहुल कुमार थे।