वाराणसी
श्री अन्न उत्पादों की बिक्री के लिए मोबाइल वैन योजना शुरू, कृषि मंत्री ने किया शुभारंभ

मिर्जामुराद (वाराणसी)। प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र, कल्लीपुर में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की समीक्षा बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में एफपीओ के पदाधिकारियों से संवाद करते हुए उन्होंने मार्केटिंग, उत्पादन और किसानों को आ रही समस्याओं पर गहन चर्चा की और उनके समाधान के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए।
सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि भारत के पारंपरिक खाद्य अनाज ‘श्री अन्न’ (मिलेट्स) को वैश्विक पहचान दिलाई जाए, ताकि देश-विदेश की हर थाली में भारतीय खाद्य उत्पाद की मौजूदगी हो। बैठक में वाराणसी जनपद के विभिन्न एफपीओ प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए और क्षेत्रीय समस्याओं की जानकारी दी।

इस अवसर पर आचार्य नरेन्द्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति डॉ. विजेंद्र सिंह, मुख्य विकास अधिकारी सहित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने एफपीओ को कृषि विविधीकरण की दिशा में आगे बढ़ने को प्रेरित करते हुए किसानों को श्री अन्न, अरहर, ढैंचा और मक्का जैसी फसलों की ओर आकर्षित करने का सुझाव दिया। उन्होंने ढैंचा को कम लागत और कम पानी में अधिक लाभ देने वाली फसल बताते हुए कहा कि इसका बीज एक सप्ताह के भीतर प्रदेश के सभी जिलों में 50% अनुदान पर उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही मक्का की खेती को भी बढ़ावा देने की बात कही, जिसे एथेनॉल उत्पादन, पशु चारा और पोल्ट्री सेक्टर में लगातार बढ़ती मांग के लिए महत्वपूर्ण बताया।
सूर्य प्रताप शाही ने जानकारी दी कि “श्री अन्नपूर्णा एफपीओ” को असम राइफल्स, मेघालय से 5 मीट्रिक टन प्रति माह मिलेट्स की आपूर्ति का ऑर्डर मिला है, जिसे उन्होंने क्षेत्र के लिए गर्व की बात बताया।
बैठक के अंत में मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने श्री अन्न की बिक्री के लिए विशेष रूप से तैयार मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो विभिन्न शहरों में भ्रमण कर उत्पादों की बिक्री करेगी। इसके साथ ही एफपीओ प्रतिनिधियों द्वारा ऋण संबंधी समस्याओं को लेकर उठाए गए मुद्दों पर मुख्य विकास अधिकारी को बैंक अधिकारियों के साथ बैठक कर शीघ्र समाधान निकालने के निर्देश दिए गए। साथ ही एफपीओ की समरी रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजने का भी निर्देश दिया गया।