मुम्बई
शुरुआती रिश्ते का अर्थ संबंध जारी रखने की आजादी नहीं : बॉम्बे हाई कोर्ट
रिपोर्ट - धर्मेंद्र सिंह धर्मा, ब्यूरो चीफ मुंबई
मुंबई में प्यार का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें कौन सही है, कौन गलत ? यह फैसला बॉम्बे हाई कोर्ट के जज के ऊपर निर्भर करता है। फिलहाल इस मामले की जांच और कोर्ट में सुनवाई चल रही है। मुंबई में एक युवक और युवती एक-दूसरे को जानते थे। दोनों करीब आए और उनका अफेयर हो गया। दोनों के शारीरिक रिश्ते बने। उनके संबंध की जानकारी युवती के घरवालों को हुई तो उन्होंने नाराजगी जताई। युवती ने भी युवक के प्यार को ठुकरा दिया। युवक ने युवती को ब्लैकमेल किया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने संबंधों की असफलता के बाद दर्ज़ कराए गए रेप के मामले में सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।
कोर्ट ने कहा कि शुरुआती रिश्ते का मतलब विक्टिम को संबंध जारी रखने के लिए मजबूर करने की आजादी नहीं होगी। कोर्ट ने यह टिप्पणी आरोपी युवक की जमानत अर्ज़ी को खारिज करते हुए की है। आरोपी युवक के खिलाफ विक्टिम की शिकायत पर मुंबई के एक पुलिस स्टेशन में 12 दिसंबर 2023 को एफआईआर दर्ज़ की गई थी। पुलिस ने आईपीसी की धारा 376 (2एन), 323, 341, 500, 506 और आईटी ऐक्ट की धारा 67 के तहत केस दर्ज़ कर मामले की जांच शुरू की थी। सात महीने से जेल में बंद आरोपी ने कोर्ट में जमानत अर्ज़ी दायर की थी।
आरोपी युवक पर आपत्तिजनक फ़ोटो और विडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर विक्टिम से जबरदस्ती संबंध बनाने का आरोप हैं। कोर्ट ने कहा कि फ़ोटो और विडियो को वायरल करना आरोपी की आपराधिक मानसिकता को दर्शाता है। प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत हैं। इसलिए उसे राहत नहीं दी जा सकती। निचली अदालत से मुकदमे की सुनवाई तेजी से करना अपेक्षित है।
वहीं इस मामले में आरोपी के वकील ने कहा कि आरोपी और शिकायतकर्ता एक-दूसरे के परिचित थे। शुरुआत में दोनों आपसी सहमति से रिश्ते में थे। घरवालों को जब रिश्ते के बारे में पता चला, तो विक्टिम इस संबंध से पलट गई। उस पर आरोपी के खिलाफ केस दर्ज़ कराने के लिए उकसाया गया है। आरोपी युवक की पढ़ाई जारी है। वह लंबे समय से सलाखों के पीछे है, उसकी पहले से कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। लिहाजा उसके प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया जाए।