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गाजीपुर

शराब माफिया बेलगाम, प्रशासन मूकदर्शक, जनता में आक्रोश

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गाजीपुर। जनपद के कई क्षेत्रों से आ रही जयदेश टीम की ग्राउंड रिपोर्ट ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि शराब माफिया और सरकारी तंत्र की मिलीभगत किस कदर आम जनता का जीना मुहाल कर रही है। सुबह छह बजे से ही शराब की दुकानें खुल रही हैं, वह भी रेलवे स्टेशन, अस्पताल और सरकारी विद्यालय जैसे संवेदनशील इलाकों के आसपास। यह न सिर्फ कानूनी नियमों की धज्जियां उड़ाने वाला है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी छिन्न-भिन्न करने वाला कृत्य है।

प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता ने इस समस्या को और विकराल बना दिया है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे जिला और तहसील स्तर पर बैठे अधिकारी या तो स्थिति को लेकर उदासीन हैं या फिर शराब माफिया के साथ उनकी सांठगांठ है। इस उदासीनता के कारण आम लोगों का गुस्सा अब सड़कों पर दिखाई दे रहा है। गरीब महिलाएं, बेरोजगार युवक और लाचार परिवार जन इस अन्याय के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। कई बार हालात टकराव की स्थिति तक पहुंच गए हैं, जिससे कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं।

इस गंभीर स्थिति में पत्रकारों की भूमिका सराहनीय रही है। तमाम खतरों के बावजूद उन्होंने सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म पर इस मुद्दे को उजागर किया। फेसबुक, व्हाट्सएप और लोकल चैनलों के माध्यम से जनता की आवाज़ को उठाने की कोशिश की गई, लेकिन अफसोस की बात है कि अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

शराब के खुलेआम प्रसार का असर समाज पर भी गहराई से पड़ा है। बढ़ती बेरोजगारी, सामाजिक असंतुलन और पारिवारिक टूटन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। युवाओं का भविष्य दांव पर लगा है और महिलाएं रोजमर्रा की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

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समाधान की दिशा में अब ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। शराब की दुकानों की स्थिति की जांच कर अवैध संचालन पर रोक लगाई जानी चाहिए। आबकारी विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच आवश्यक है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे चुप्पी तोड़ें और जनता के साथ खड़े हों। वहीं मीडिया की जिम्मेदारी बनती है कि इस मुद्दे को राज्य स्तर तक पहुंचाया जाए ताकि उच्चस्तरीय कार्रवाई संभव हो सके।

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