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वाराणसी

मिशन इंद्रधनुष – पहले चरण में छूटे हुये 15,734 बच्चे एवं 3826 गर्भवती को लगेगा टीका

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जिले में आठ मार्च से शुरू होगा पहला चरण, तीन चरणों में चलेगा अभियान

सीएमओ कार्यालय सभागार में आयोजित हुई मीडिया कार्यशाला

सीएमओ ने की अपील छूटे हुये बच्चे व गर्भवती अवश्य कराएं टीकाकरण

वाराणसी| नियमित टीकाकरण से छूटे हुये दो वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती को जिले में आठ मार्च से शुरू होने वाले मिशन इंद्रधनुष 4.0 अभियान के अंतर्गत प्रतिरक्षित किया जाएगा। सात मार्च को मतदान होने के कारण यह अभियान आठ मार्च से शुरू किया जा रहा है। यह अभियान पूरे एक सप्ताह तक समस्त आठों ब्लॉकों एवं 24 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चलेगा। 10 मार्च को परिणाम आने के कारण उस दिवस यह अभियान नहीं चलेगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने शनिवार को दुर्गाकुंड स्थित सीएमओ कार्यालय सभागार में आयोजित हुई मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला में दी।
सीएमओ ने बताया कि कोविड व अन्य कारणों से छूटे हुये दो वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती को प्रतिरक्षित करने के लिए मिशन इंद्रधनुष के चौथे फेस का अभियान तीन चरणों में चलेगा। पहला चरण आठ मार्च से एक सप्ताह तक चलेगा। दूसरा चरण अप्रैल 4 अप्रैल और तीसरा चरण 2 मई से पूरे एक सप्ताह तक चलेगा। इस अभियान के लिए आईसीडीएस विभाग, जिला पंचायती राज विभाग, एनडीआरएफ़ व अन्य विभागों तथा संस्थाओं से सहयोग लिया जाएगा। उन्होने बताया कि विभाग व विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) द्वारा सर्वे कराया जा चुका है। विभाग का पूरा प्रयास है कि अभियान के तीनों चरणों में शत-प्रतिशत बच्चों व गर्भवती को प्रतिरक्षित कर लिया जाए।
सीएमओ ने जनपदवासियों से अपील की है कि किसी भी उम्र के बच्चे व गर्भवती टीकाकरण से छूटे हैं तो वह इस अभियान के जरिये अपना टीकाकरण अवश्य करा लें। इसके साथ ही उन्होने अभियान को लेकर प्रचार-प्रसार करने में सहयोग के लिए कहा। जिससे जागरूक होकर बच्चों व गर्भवती को बीमारियों से बचाया जा सके एवं एक स्वस्थ व खुशहाल समाज की कल्पना को साकार किया जा सके।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ वीएस राय ने बताया कि अभियान के सफलतापूर्वक संचालन के लिए विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। अभियान के पहले चरण में छूटे हुये दो वर्ष तक के 15,734 बच्चे एवं 3826 गर्भवती को प्रतिरक्षित किया जाएगा। इसके लिए आठों ब्लॉकों के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व 24 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कुल 2,068 सत्र स्थल निर्धारित किए गए हैं। सत्र स्थल पर सुबह नौ बजे से लेकर शाम चार बजे टीकाकरण किया जाएगा। उन्होने बताया कि सर्वे के दौरान पाया गया है कि शहर के 15 इलाकों में अधिक संख्या में बच्चे टीकाकरण से छूटे हैं जहां पूरा ज़ोर दिया जाएगा।
डॉ राय ने बताया कि पिछले वर्ष अप्रैल में चलाये गए मिशन इंद्रधनुष अभियान के दौरान कुल चार ब्लॉकों में कुल 7736 बच्चों एवं 1229 गर्भवती का टीकाकरण किया जा चुका है। मिशन इंद्रधनुष के पहले दो चरणों के परिणामस्वरूप एक वर्ष में पूर्ण टीकाकरण कवरेज में 6.7% की वृद्धि हुई है।
कार्यशाला का संचालन कर रहे डीएचईआईओ हरिवंश यादव ने बताया कि इस अभियान के लिए जनपद में आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को लगाया गया है जो छूटे हुये बच्चों व गर्भवती को जागरूक करते हुये टीकाकरण सत्रों पर लेकर आएंगी और उनका टीकाकरण सुनिश्चित कराएंगी। जिले के चिन्हित उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में जन जागरूकता के लिए धर्म गुरुओं का भी सहयोग लिया जा रहा है। इस कार्य में यूनिसेफ व यूपीटीएसयू संस्था के प्रतिनिधि सहयोग कर रहे हैं।
इस मौके पर एसीएमओ डॉ एके मौर्या, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ एके पांडे, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक संतोष सिंह, डबल्यूएचओ से एसएमओ डॉ जयशीलन व डॉ सतरूपा, यूनिसेफ से डॉ शाहिद व तवरेज एवं मीडिया बंधु मौजूद रहे।


अभियान में लगेंगे 11 तरह के टीके – मिशन इंद्रधनुष अभियान में 11 वैक्सीन-प्रिवेंटेबल डिज़ीज़ के टीकाकरण शामिल हैं जिनमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटेनस, पोलियो, क्षय (टीबी), हेपेटाइटिस-बी, मैनिंजाइटिस, निमोनिया हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी संक्रमण, रोटावायरस वैक्सीन, न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीएसवी) और खसरा-रूबेला (एमआर) हैं।
नियमित टीकाकरण की उपलब्धि – जनपद में वर्ष 2021-22 में नियमित टीकाकरण के लिए एक वर्ष तक के बच्चों का लक्ष्य 79896 एवं गर्भवती के डिप्थीरिया-टिटनेस (डी०टी०) वैक्सीन के आच्छादन का लक्ष्य 96481 रखा गया है, जिसके सापेक्ष अभी तक 87% बच्चों एवं 55% गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा चुका है।
पाँच साल – सात बार, टीका न छूटे एक भी बार – टीकाकरण एक सतत प्रक्रिया है जो कि जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक सम्पादित की जाती है।
• जन्म के समय बच्चों को हेपेटाइटिस बी को मैटरनल संक्रमण से बचाने के लिये एवं पोलियो वैक्सीन की जीरो डोज खुराक एवं बी०सी०जी० की वैक्सीन दी जाती है।
• तत्पश्चात बच्चे की आयु ढेढ़ माह, ढाई माह एवं साढ़े तीन माह होने पर डिप्थीरिया, कुकुरखांसी, टिटनेस, रोटावायरल, डायरिया, हेपेटाइटिस बी, हेमेसिफिलस संक्रमण एवं न्यूमोकोकल वैक्सीन, न्यूमोकोकल इन्फेक्शन के संक्रमण से बचाने के लिये टीका लगाया जाता है।
• इसके साथ ही नौ महीने की उम्र पूरी होने पर 10वें महीने पर मिजिल्स एवं रूबेला की वैक्सीन तथा 16-24 महीने पर मिजिल्स रूबेला की सेकेण्ड डोज दी जाती है।
• इसके बाद 16 से 24 माह पर डिप्थीरिया, कुकुरखॉसी एवं टिटनेस के संक्रमण से बचाव के लिये डी०पी०टी० वैक्सीन की बूस्टर डोज़ एवं पुनः 05 वर्ष पूर्ण होने पर डी०पी०टी० की दूसरी बूस्टर खुराक दी जाती है।
• किशोर एवं किशोरियों को 10 वर्ष एवं 16 वर्ष की उम्र पर डिप्थीरिया एवं टिटनेस से बचाव के टीके दिये जाते हैं।
• इस प्रकार एक ही टीकाकरण के विभिन्न वैक्सीन देने का समय निर्धारित किया गया है। एवं बच्चे को सभी वैक्सीन मिल जाये इसके लिये उन्हें विभिन्न आयु पर 07 बार टीकाकरण केन्द्र के लिए ले जाना होता है।

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