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वाराणसी

बीएचयू : काम पर वापस लौटे रेजिडेंट डॉक्टर्स, ओपीडी में बढ़ी मरीजों की भीड़

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इन बातों पर बनी सहमति

वाराणसी। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में मरीजों के लिए राहत की खबर है। चार दिनों की हड़ताल के बाद रेजिडेंट डॉक्टर अब काम पर लौट आए हैं। कोलकाता कांड के चलते शुरू हुई इस हड़ताल का अब अंत हो गया है जिससे अस्पताल की सेवाएं फिर से सामान्य हो गई हैं और मरीजों का इलाज पूरी क्षमता के साथ किया जा रहा है।

आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एसएन संखवार के साथ बैठक के बाद डॉक्टरों की मांगों पर सहमति बनी, जिसके तहत मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) बनाई गई हैं। अब किसी घटना की जांच के बाद छह घंटे के भीतर कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। साथ ही सुरक्षा गार्ड की संख्या बढ़ाने और बायोमेट्रिक लॉक लगाने का भी प्रावधान किया गया है।

मरीज एवं उनके परिजनों ने जाहिर की अपनी स्थिति

(1) चंदौली के चकिया के रमेश पिछले दो दिनों से अपने बच्चे की आंख को दिखाने के लिए सर सुंदरलाल अस्पताल पहुंचे थे। डॉक्टर ना होने की वजह से उनका इलाज नहीं हो पा रहा था आज तीसरे दिन जब हड़ताल खत्म हुआ तो उनका पर्चा ओपीडी में जमा हुआ और वह अपने बच्चों को लेकर अपने बड़ी का इंतजार करते हुए दिखाई दिए।

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(2) बिहार से अपनी पत्नी के साथ पहुंचे मनोज ने बताया कि आज अस्पताल में कोई दिक्कत नहीं है सभी ओपीडी में डॉक्टर बैठे हुए हैं हमने अपना नंबर लगा दिया है और बाहर बैठकर इंतजार कर रहे हैं मेरा नंबर लगभग 1 बजे तक आएगा।

(3) गाजीपुर से पहुंचे आशीष बताते हैं कि, वह अपने पत्नी के बच्चेदानी का इलाज करने पहुंचे थे पिछले दो दिनों से वह जांच कर रहे हैं डॉक्टर नहीं होने से उन्हें दिखाने में 3 दिन का समय लग गया उन्होंने कहा कि आज हमने नंबर लगाया है और अपने बारी का इंतजार कर रहे हैं उन्होंने कहा हड़ताल खत्म हो गई यह बड़ी अच्छी बात है। क्योंकि काफी मरीज मेरे सामने निराश होकर घर वापस लौट गए थे।

बता दें कि, इस हड़ताल की वजह से पिछले कुछ दिनों में अस्पताल आने वाले मरीजों की संख्या में कमी आई थी, जिससे कई मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ा। आमतौर पर ओपीडी में प्रतिदिन 7,000 मरीज देखे जाते हैं। लेकिन हड़ताल के दौरान यह संख्या 3,000 से 4,000 के बीच रह गई थी। अब सभी डॉक्टरों के काम पर लौटने के बाद सेवाएं सामान्य हो गई हैं और मरीजों में भी खुशी है।

पिछले ढाई महीनों में बीएचयू अस्पताल में कुल 17 दिन हड़ताल के कारण चिकित्सा सेवाएं बाधित रहीं, जिससे हजारों मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

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