वाराणसी
बिजली कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ संघर्ष तेज करने की चेतावनी
वाराणसी । विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर मंगलवार को प्रदेशभर में बिजली कर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। वाराणसी सहित विभिन्न जिलों में हुए विरोध प्रदर्शनों में कर्मचारियों ने सरकार से ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए जारी टेंडर को तत्काल निरस्त करने की मांग की। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि यदि यह टेंडर रद्द नहीं किया गया तो अगले सप्ताह से आंदोलन और तेज किया जाएगा।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए संविदा कर्मियों को बड़े पैमाने पर हटाया जा रहा है। प्रबंधन ने संविदा कर्मचारियों का अनुबंध समाप्त करने के बाद 20 प्रतिशत छंटनी करने का आदेश दिया है, जिससे एक साल के भीतर संविदा कर्मियों की संख्या 40 प्रतिशत तक कम हो जाएगी।
वर्तमान में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 15,236 नियमित और 27,000 संविदा कर्मी कार्यरत हैं, जबकि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 8,582 नियमित कर्मचारी और 23,000 संविदा कर्मी कार्यरत हैं। इसके अलावा, पूर्वांचल में 853 अभियंता और 1,241 जूनियर इंजीनियर, तथा दक्षिणांचल में 666 अभियंता और 913 जूनियर इंजीनियर कार्य कर रहे हैं।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि निजीकरण के लिए लगभग 50,000 संविदा कर्मियों को हटाने की योजना है। इसके साथ ही, 23,818 अन्य नियमित कर्मचारियों, 2,154 जूनियर इंजीनियरों, और 1,519 अभियंताओं के पद समाप्त किए जाने की संभावना है। संघर्ष समिति ने यह भी दावा किया कि निजीकरण को सुगम बनाने के लिए नियमित कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं को जबरन सेवानिवृत्ति देने की योजना बनाई जा रही है।
संघर्ष समिति के नेताओं ने स्पष्ट किया कि कर्मचारियों के बीच भय का माहौल बनाकर निजीकरण की योजना को सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्मचारी संगठन व्यापक आंदोलन की तैयारी कर रहा है और यदि सरकार ने टेंडर को तत्काल निरस्त नहीं किया, तो विरोध प्रदर्शन और तेज किया जाएगा।
वाराणसी में हुए विरोध प्रदर्शन में ई. अविनाश कुमार, ई. एस.के. सिंह, माया शंकर तिवारी, राजेंद्र सिंह, विजय सिंह, रामकुमार झा, रमाशंकर पाल, कृष्णा लाल श्रीवास्तव, राजेश कुमार सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने सभा को संबोधित किया और आंदोलन को तेज करने की रणनीति पर चर्चा की।
संघर्ष समिति ने सरकार से मांग की है कि बिजली कर्मियों की नौकरियां सुरक्षित रखने के लिए निजीकरण की प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए, अन्यथा प्रदेशव्यापी आंदोलन को और बड़ा किया जाएगा।