जौनपुर
प्रोबेशन विभाग ने तीन वर्षों में रोके 36 बाल विवाह, पांच पर दर्ज हुआ मुकदमा

जौनपुर। बाल विवाह की कुप्रथा पर रोक लगाने के लिए शासन के निर्देश पर जिले में सक्रिय प्रोबेशन विभाग की टीम ने बीते तीन वर्षों में 36 बाल विवाह को समय रहते रोककर कई मासूम ज़िंदगियों को उजड़ने से बचा लिया। इनमें से पांच मामलों में मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
बाल विवाह कानून की सख्ती
बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह कानूनन अपराध है। इस अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दो वर्ष तक का कठोर कारावास और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
तीन साल का आंकड़ा
प्रोबेशन विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022-23 में 27, 2023-24 में 7 और वर्ष 2024-25 में अब तक 2 बाल विवाह रोके गए हैं।
अशिक्षा है मुख्य वजह
जिला प्रोबेशन अधिकारी विजय कुमार पांडेय के अनुसार, “बाल विवाह के पीछे सबसे बड़ी वजह अशिक्षा है। सामान्य वर्ग में इसके मामले काफी कम हैं, जबकि नट और मुसहर बस्तियों में यह अब भी एक परंपरा के रूप में देखा जाता है।”
चाइल्ड हेल्पलाइन पर आयी सूचनाएं
केस-1: जलालपुर के बरई नट बस्ती में 16 वर्षीय किशोरी की शादी 18 अप्रैल को कराई जा रही थी। चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर सूचना मिलते ही टीम ने मौके पर पहुंचकर उम्र का प्रमाण पत्र जांचा और शादी रुकवा दी।
केस-2: चंदवक के पटैला स्थित मुसहर बस्ती में 21 मार्च को नाबालिग वर-वधु का विवाह हो रहा था। सूचना मिलने पर प्रोबेशन टीम ने हस्तक्षेप कर विवाह को रोका।
जागरूकता अभियान जारी
सरकारी प्रयासों के साथ-साथ कई गैर-सरकारी संगठन भी बाल विवाह को रोकने के लिए जन-जागरूकता अभियान चला रहे हैं। अधिकारियों की निगाह विशेष रूप से उन बस्तियों पर रहती है, जहां यह प्रथा प्रचलित है।