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वाराणसी

दूरदर्शी सामाजिक समिति ने 115 वीं जयंती पर साहित्य सेविका महादेवी को किया याद

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वाराणसी। जनपद के सारनाथ में शक्तिपीठ नीम करौली बाबा मंदिर परिसर में दूरदर्शी सामाजिक समिति ने हिंदी साहित्यिक सेविका महादेवी वर्मा की जयंती कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि विवेक त्रिपाठी व शक्तिपीठ के महंत संतोष जी ने संयुक्त रूप से देवी के चित्र पर पुष्प अर्चन कर दीप प्रज्ज्वलित किया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विवेक त्रिपाठी ने कहा कि 1930. से 1942 तक महादेवी के पांच गीत संग्रह नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्य गीत और दीपशिखा प्रकाशित हुए। इन्हीं गीतों के बल पर छायावाद की चतुष्टयी में प्रसाद, निराला एवं पंत के साथ महादेवी भी प्रतिष्ठित हो गई। महादेवी की वेदनापरक रचनाओं के पीछे कई बार विद्रोह के आग की लपटें झलकती हैं। अध्यक्षता कर रहे शक्तिपीठ के महंत संतोष जी महराज ने कहा कि महादेवी जी में प्रारंभ से ही विस्मय, जिज्ञासा, विद्रोह और दमन के द्वंद्व के भाव मिलते हैं, जो निरंतर तीव्र होते गए हैं। प्रधानाचार्य अमर नाथ सिंह ने कहा कि उनके अतीत के चलचित्र और स्मृति की रेखाएं के संस्मरणों में मध्यवर्गीय नारी की प्रताड़ना का चित्रण हुआ है।उनका व्यक्तित्व अन्य छायावादी कवियों से भिन्न है। इस मौके पर अंकित बरनवाल,सुधीर गुप्ता
आकाश कुमार,निशांत मिश्रा,सोनू चतुर्वेदी को मनोनय पत्र दिया गया।
दूरदर्शी सामाजिक समिति के अध्यक्ष रवि आर्य ने सबको संगठित होने का आव्हान किया। कार्यक्रम में भानु प्रताप द्विवेदी,प्रदीप मौर्य, रामकृष्ण गुप्ता, पवन चक्रवाल के साथ अन्य लोग भी मौजूद रहे।

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