मऊ
ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में डूबने से होने वाली जनहानि रोकने के लिए सतर्कता ज़रूरी

आजमगढ़। अपर जिलाधिकारी सत्यप्रिय सिंह ने जानकारी दी कि ग्रीष्म एवं वर्षा ऋतु के दौरान नदियों, पोखरों, तालाबों, कुओं आदि में डूबने के कारण बड़ी संख्या में जनहानि होती है। प्रदेश स्तर पर डूबने की घटनाओं का विश्लेषण करने पर पाया गया कि लगभग 45.7 प्रतिशत घटनाएँ 20 वर्ष तक के आयु वर्ग में तथा 18.4 प्रतिशत घटनाएँ 21 से 30 वर्ष के आयु वर्ग में हो रही हैं।
अधिकांश घटनाएँ (52.9 प्रतिशत) नदियों एवं तालाबों में स्नान करते समय घटित होती हैं।डूबने से होने वाली जनहानि को न्यूनतम करने के उद्देश्य से आमजन को जागरूक करने के लिए सावधानी एवं बचाव के उपाय सुझाए गए हैं।
अल्प आयु के बच्चों को जल स्रोतों के पास खेलते समय सतर्क निगरानी में रखना चाहिए और उन्हें कभी भी अकेले कुएँ, नदी, झील, तालाब, पोखर, नहर, नाला, गड्ढा, जलप्रपात या किसी अन्य जल स्रोत के पास नहीं जाने देना चाहिए। तैराकी कौशल के अभाव में जल स्रोतों में प्रवेश करना वर्जित होना चाहिए।
नदियों, नहरों, तालाबों एवं अन्य जल स्रोतों के पास चेतावनी बोर्ड लगाए जाने चाहिए जिनमें सुरक्षा और बचाव संबंधी निर्देश स्पष्ट रूप से अंकित हों और इनका अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।बच्चों की भेद्यता को ध्यान में रखते हुए, संवेदनशील स्थलों और त्योहारों के अवसरों पर घाटों पर निगरानी तंत्र एवं व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए।
समुदाय के पारंपरिक ज्ञान का उपयोग कर भी स्थानीय स्तर पर जनजागरूकता बढ़ाई जा सकती है। स्कूली बच्चों को जल सुरक्षा, जोखिम न्यूनीकरण और प्राथमिक उपचार के उपाय सिखाने पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए।
डूबने की घटनाओं को रोकने और जोखिम को न्यूनतम करने हेतु उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुरूप संवेदनशील स्थानों पर सुझाए गए सावधानी एवं बचाव उपायों का कड़ाई से पालन किया जाना अनिवार्य है।