वाराणसी
गेहूं की फसलों के आग में स्वाहा होने से बचाव करने की तैयारी करें प्रशासन
रिपोर्ट मनोकामना सिंह
वाराणसी| गर्मी का मिजाज पूरी तौर पर अपने रौद्र रूप में जा रहा है सूर्योदय के बाद सांझ ढलने के बाद भी जनजीवन भीषण गर्मी से बेचैन हो रहा है| इस मौसम में भारी विडंबना खेतिहर किसानों को और संवेदना से जूझना पड़ता है| जब उनकी कड़ी मेहनत से खेतों में तैयार गेहूं सरसों की फसलें विभिन्न कारणों से आग लग जाने से देखते-देखते जलकर राख हो जाती हैं| दाने दाने के लिए मोहताज हो जाते हैं| किसान बंधु मगर वह चाह कर भी विवश हो जाते हैं उनकी सारी मेहनत खाद बीज की कमाई पल भर में स्वाहा हो जाती है|
मिसाल के तौर पर सोमवार 4 अप्रैल को मिर्जामुराद थाना क्षेत्र के भिखारीपुर गांव में किसी कारण से या विद्युत विभाग के हाईटेंशन तार की चिंगारी से लगभग 40 बीघा गेहूं जलकर राख में बदल गई है| यह केवल 1 साल की बात नहीं अभी 2 वर्षों से गर्मी के रौद्र रूप में न केवल अपने वाराणसी जनपद अभी तो आसपास के जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में बराबर समाचार मिलते रहते हैं| मगर वर्षों से चल रहे इस हालात को ठोस अवस्था रोकने की पहल शासन प्रशासन नहीं कर सका है| मध्यम गरीब खेतिहर किसान हो या नामी-गिरामी भूमि पति किसान भी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं| जानकार भुक्तभोगी किसानों के अनुसार उनके खेतों के ऊपर से जाने वाले विद्युत विभाग के हजारों पावर के तार रगड़ से आपस में टकरा जाने से जो चिंगारी किए हूं| सरसों की फसलों के खेतों में गिरती है| उसे आग एक स्थान पर लगती है तो तत्काल आज फेल कर आसपास फेल कर अपना तांडव दिखा देती है| कल्पना करिए जिस किसान बंधु पर ऐसी आफत आती है उसकी मनोदशा क्या होती होगी ?प्रतिवर्ष गर्मी के माह में आग लगने की घटनाएं होती घटित होती रहती हैं।
इन कारणों को गंभीरता से देख समझकर प्रशासनिक अधिकारी किसानों की मनोदशा का आकलन खुद करें उनको जली फसल के लिए मुआवजा देने का कारगर उपाय करें| महंगाई के दौर में बेबस किसान एक तो रोजमर्रा की कठिनाई से जूस कर रहा है| इससे अपनी गाड़ी मेहनत से उत्पन्न की गई फसल को राख में बदल कर देखकर हार कर बैठने के लिए मजबूर हो रहा है|