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काशी को साथ बहा ले जाना चाहती थीं गंगा मैया, इस जगह भगवान शिव ने त्रिशूल से रोका था
रिपोर्ट - श्रद्धा यादव
यहां मां गंगा के वेग से काशी के अस्तित्व को बचाया था महादेव के इस मंदिर ने जो शूलटंकेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है! काशी के दक्षिण में बसे शूलटंकेश्वर महादेव के घाट से टकराकर गंगा काशी में उत्तरवाहिनी होकर प्रवेश करती हैं!
मान्यताओं के अनुसार यहां के पुजारी राजेंद्र गिरी ने बताया कि माधोपुर में माधेश्वर ऋषि ने कठोर तप किया था, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा माधव ऋषि ने महादेव से कहा आप यही विराजमान हो जाए तो स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुए और वह माधेश्वर महादेव कहलाए!
पुराण के प्रसंगों के अनुसार गंगा अवतरण के बाद काशी में मां गंगा अपने रौद्र रूप में प्रवेश करने लगी वह काशी को अपने साथ बहा ले जाना चाहती थी! नारद ऋषि के अनुरोध पर भगवान शिव ने काशी के दक्षिण में ही त्रिशूल फेंक कर गंगा के वेग को रोक दिया,भगवान शिव के त्रिशूल से मां गंगा को पीड़ा होने लगी उन्होंने भगवान से क्षमा याचना की भगवान शिव ने गंगा से वचन लिया कि वह काशी को स्पर्श करते हुए प्रवाहित होगी, साथ ही काशी में गंगा स्नान करने वाले किसी भी भक्त को कोई जलीय जीव हानि नहीं पहुंचाएगा!
गंगा ने जब दोनों वचन स्वीकार कर लिए तब शिव ने अपना त्रिशूल वापस लिया तभी से यह शूलटंकेश्वर महादेव कहलाने लगे ! पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शूलटंकेश्वर महादेव का दर्शन करने वाले भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं! शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर शूलटंकेश्वर महादेव का मंदिर विराजमान हैं ! माधवपुर गांव में शूलटंकेश्वर महादेव का मंदिर स्थापित है!मंदिर में महादेव के अलावा हनुमान जी मां पार्वती भगवान गणेश कार्तिकेय के साथ नंदी विराजमान हैं !