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वाराणसी

‘आरआरआर’ रणनीति से बढ़ी जनपद में महिला नसबंदी की संख्या

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रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

परिवार नियोजन की ‘बास्केट ऑफ च्वॉइस’ पर भी विभाग का पूरा ज़ोर

आधुनिक अस्थाई साधन अंतरा व छाया में महिलाओं की बढ़ रही दिलचस्पी

परिवार नियोजन की सेवा अपनाने वाले लाभार्थियों को मिलती है प्रोत्साहन राशि

वाराणसी: जनपद में शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी लाने और सीमित व खुशहाल परिवार के उद्देश्य को पूरा करने के लिए परिवार कल्याण कार्यक्रम को निरंतर गति दी जा रही है। स्वास्थ्य टीम के लगातार प्रयास से जनपद में महिला नसबंदी का ग्राफ बढ़ा है। परिवार नियोजन के अन्य स्थायी साधन (पुरुष नसबंदी) और अस्थायी साधन (गर्भनिरोधक) के लिए बास्केट ऑफ च्वॉइस पर भी पूरा ज़ोर दिया जा रहा है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी का।
सीएमओ ने बताया कि ‘आरआरआर’ यानि रिव्यू, रिमाइंड और रिजल्ट की रणनीति से परिवार कल्याण कार्यक्रम को गति दी जा रही है। इसमें जनपद स्तरीय सभी शहरी व ग्रामीण स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों की नियमित समीक्षा (रिव्यू) की जा रही है। इसमें नियत दिवस, अंतराल दिवस (हर शुक्रवार) और खुशहाल परिवार दिवस (21 तारीख) की उपलब्धियों का गहन मूल्यांकन व डाटा अध्ययन किया जा रहा है। इसमें कमी पाई जाने पर सभी चिकित्सा अधीक्षकों, प्रभारी चिकित्साधिकारियों, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी (एचईओ), ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक (बीपीएम), ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (बीसीपीएम), ब्लॉक अकाउंट मैनेजर, डाटा ऑपरेटर, एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं व संगिनियों को अनुस्मरण (रिमाइंड) कराया जा रहा है। इसके साथ ही उपलब्धि का अपेक्षित स्तर (ईएलए) को पूरा करने का निर्देश दिया जा रहा है। इसका परिणाम (रिजल्ट) यह देखने को मिल रहा है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में जनपद में महिला नसबंदी की संख्या 6,679 थी जो 2022-23 में बढ़कर 9,456 हो गई। वहीं अप्रैल 2021 की बात करें तो इस माह 142 महिला नसबंदी हुईं, अप्रैल 2022 में 196 और अप्रैल 2023 में 301 नसबंदी हुई हैं। इसके साथ ही पुरुष नसबंदी की बात करें तो वर्ष 2017-18 में पुरुष नसबंदी की संख्या 25 थी जो 2022-23 में बढ़कर 98 हो गई।
सीएमओ ने कहा कि महिला व पुरुष नसबंदी के अलावा अस्थायी साधनों जैसे अंतरा तिमाही गर्भ निरोधक इंजेक्शन, छाया साप्ताहिक गर्भनिरोधक गोली, आईयूसीडी (कॉपर-टी), कंडोम आदि सेवाओं पर भी पूरा ज़ोर दिया जा रहा है। परिवार नियोजन के आधुनिक साधन अंतरा व छाया में महिलाओं की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। अंतरा की बात करें तो वर्ष 2019-20 में इसकी संख्या 6,887 थी जो वर्ष 2023 में बढ़कर 13,358 हो गई है। छाया की संख्या वर्ष 2019 में 3853 थी जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 39,182 हो गई है। कॉपर-टी की संख्या वर्ष 2019-20 में 9,804 थी जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 13,358 हो गई है। वहीं कंडोम की बात करें तो वर्ष 2019-20 में इसकी संख्या 6,11,748 थी जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 10,83273 हो गयी है।
परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व डिप्टी सीएमओ डॉ एचसी मौर्य ने बताया कि परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के लिए लाभार्थियों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। पुरुष नसबंदी कराने पर लाभार्थी को 3000 रुपये, प्रसव पश्चात महिला नसबंदी कराने पर 3000 रुपये एवं सामान्य महिला नसबंदी पर 2000 रुपये, आईयूसीडी व पीपीआईयूसीडी लगवाने पर 300 रुपये और अंतरा की एक डोज़ लगवाने पर 100 रुपये लाभार्थी को दिये जाते हैं। लाभार्थी को स्वास्थ्य केंद्र तक लाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है। उन्होंने बताया कि जनपद में महिला व पुरुष नसबंदी की सुविधा ब्लॉक व नगर स्तरीय सभी सीएचसी-पीएचसी तथा जिला पुरुष व महिला चिकित्सालय पर मौजूद है। इसके अलावा प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र पर अस्थाई साधन की सुविधा उपलब्ध है।
जिला स्वास्थ्य शिक्षा व सूचना अधिकारी हरिवंश यादव ने कहा कि परिवार कल्याण कार्यक्रम को लेकर समुदाय को जागरूक करके उनका व्यवहार परिवर्तन करने में एचईओ, बीपीएम, बीसीपीएम, एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं व संगिनी अहम भूमिका निभा रही हैं। यूपीटीएसयू के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ, पीएसआई इंडिया व सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था का भी महत्वपूर्ण योगदान है।

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