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वाराणसी

वाराणसी में धूमधाम से संपन्न हुआ बाबा विश्वनाथ का पारंपरिक तिलकोत्सव

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वाराणसी। वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर बाबा विश्वनाथ के दिव्य तिलकोत्सव की परंपरा महंत आवास पर पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हुई। देवाधिदेव महादेव के विवाह की पहली रस्म के रूप में आयोजित इस भव्य अनुष्ठान में महंत परिवार ने महाकुंभ से भेजे गए अभिमंत्रित जल से बाबा की पंचबदन मूर्ति का विशेष अभिषेक किया। यह पवित्र जल धर्मसंघ शिक्षा मंडल के सचिव पं. जगजीतन पांडेय द्वारा वैदिक विधि-विधान से पूजन के बाद भेजा गया था।

अनुष्ठान की शुरुआत भोर में मंगला आरती से हुई, जिसके बाद चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ त्रिवेणी संगम के जल से बाबा का अभिषेक संपन्न हुआ। पंचबदन मूर्ति को फलाहार भोग अर्पित करने के उपरांत पांच वैदिक ब्राह्मणों ने पांच प्रकार के फलों के रस से रुद्राभिषेक किया। मध्याह्न भोग और आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए बाबा के दर्शन खुले।

शाम को महंत परिवार की अगुवाई में पारंपरिक विधि से तिलकोत्सव की रस्म अदा की गई। सप्तर्षियों के प्रतीक स्वरूप सात विशेष थालों में तिलक सामग्री बाबा को अर्पित की गई। इन थालों में वर के लिए वस्त्र, स्वर्ण आभूषण, चांदी के नारियल, घड़ी, कलम सेट सहित अन्य शगुन सामग्रियां सजाई गई थीं। तिलकोत्सव की शोभायात्रा शहनाई, डमरू की मंगल ध्वनि और भक्तों की बधाइयों के बीच निकली, जिसमें महंत परिवार सहित काशीवासी भी शामिल हुए।

रात्रि में बाबा का दूल्हा स्वरूप में विशेष श्रृंगार किया गया, जिसे पं. वाचस्पति तिवारी और संजीव रत्न मिश्र ने संपन्न किया। इस भव्य आयोजन के उपरांत महिलाओं ने मंगल गीतों की प्रस्तुति दी, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। आचार्य सुशील त्रिपाठी के आचार्यत्व में तिलकोत्सव के वैदिक विधान पूरे किए गए।

बाबा विश्वनाथ के इस अनूठे तिलकोत्सव ने काशीवासियों को एक बार फिर से आध्यात्मिक भक्ति और परंपरा की गहराइयों से जोड़ दिया।

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