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वाराणसी

झूठे वादों का खेल: सोशल मीडिया के सहारे युवाओं को ठगते ‘गुप्त रोग विशेषज्ञ’

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वाराणसी । शहर की गलियों में पोस्टर, बैनर और सोशल मीडिया पर चल रहे विज्ञापनों ने होम्योपैथिक चिकित्सकों की नई जमात को जन्म दिया है। ये चिकित्सक खुद को ‘गुप्त रोग विशेषज्ञ’ बताकर युवाओं और नवविवाहितों को अपनी जाल में फंसा रहे हैं। इनके क्लीनिक में भीड़ भले ही न दिखे, लेकिन पार्सल के रूप में दवाओं का खेल लगातार जारी है।

मूत्रालयों, सवारी वाहनों, पिकनिक स्पॉट्स और कॉलेज के रास्तों पर चमचमाते पोस्टर और बड़े-बड़े दावे। “हर तरह के गुप्त रोग का इलाज” जैसे वाक्य लिखे पोस्टर न केवल युवाओं को आकर्षित करते हैं बल्कि उनकी कमजोरियों का फायदा उठाकर उन्हें अपने जाल में फंसाते हैं।

सोशल साइटों पर ये चिकित्सक खुद को “प्रसिद्ध विशेषज्ञ” और “विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉक्टर” बताकर बड़े पैमाने पर प्रचार करते हैं।

इन चिकित्सकों का असली मकसद सिर्फ आर्थिक फायदा उठाना होता है। इनके पास मरीजों की भीड़ नहीं होती, बल्कि “दवा पार्सल” के नाम पर पैसे वसूले जाते हैं। महंगे इलाज के नाम पर अनजान युवा और नवविवाहित जोड़े इनके पास आते हैं, और हजारों-लाखों रुपये गंवा बैठते हैं।

इनमें से कई तथाकथित डॉक्टरों की डिग्रियां जांच के लायक हैं। फर्जी डिग्रियों और विज्ञापनों के दम पर चलाए जा रहे ये अस्पताल न केवल कानून की धज्जियां उड़ाते हैं, बल्कि लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ भी करते हैं।

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शहर के मध्य में एक ऐसा ही डॉक्टर एक आलीशान बिल्डिंग में अपना क्लीनिक चला रहा है। चारों ओर से सजे पोस्टर, सोशल मीडिया पर बढ़ते फॉलोवर्स और झूठे मरीजों के रिव्यू इस खेल की गहराई को और उजागर करते हैं।

प्रशासन का यह कर्तव्य है कि ऐसे चिकित्सकों की जांच हो। उनकी डिग्रियां सत्यापित की जाएं और जो भी फर्जी साबित हो, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

युवाओं और नवविवाहितों को समझना होगा कि किसी भी चिकित्सक पर आंख मूंदकर विश्वास न करें। बिना प्रमाणित जानकारी और सलाह के किसी भी इलाज का हिस्सा न बनें। प्रशासन और समाज को मिलकर ऐसे ठग चिकित्सकों पर शिकंजा कसने की जरूरत है ताकि यह खेल बंद हो और लोगों का विश्वास बचा रहे।

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