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धर्म-कर्म

अद्भुत हैं काशी के ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, शिवपुराण में वर्णित है धार्मिक महत्व और मान्यता

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काशी का ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जो तीन तरफ से कब्रों से है घिरा

वाराणसी। काशी में एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो तीन तरफ से कब्रों से घिरा हुआ है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओमकारेश्वर का मंदिर है। एक बार ब्रह्मा जी ने लंबी अवधि तक इसी स्थान पर कठोर तपस्या की थी। जिससे एक शक्ति ऊर्जा निकली और जमीन में छेद हो गया।यह ज्योतिर्लिंग वाराणसी के आदमपुर थाना क्षेत्र के कोयला बाजार इलाके में स्थित है।

प्राचीन मान्यता के अनुसार, जब ब्रह्मा जी की तपस्या से शक्ति ऊर्जा निकली और जमीन में छेद हो गया तो चारों तरफ प्रकाश फैल गया और इसने तीन शिवलिंगों का रूप धारण कर लिया । यह तीनों ऋग, यजुर्वेद और सामवेद का प्रतीक है। यह ऊर्जा आकार, उकार और मकार का प्रतिनिधित्व करती है ।

मंदिर के पुजारी शिवदत्त पांडे से ने जयदेश न्यूज़ की रिपोर्टर श्रद्धा यादव से बातचीत के दौरान बताया कि, “काशी में कब्रिस्तान में स्थित इस मंदिर में दर्शन करने से समस्त तीर्थो के दर्शन का फल प्राप्त होता है। काशी खंड में भी ओंकारेश्वर महादेव का जिक्र है। यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है। यहां दर्शन से अश्वमेध यज्ञ की प्राप्ति होती है।”

उन्होंने आगे बताया कि, “शिव पुराण में ओंकारेश्वर महादेव का जो जिक्र है, उससे यह पता चलता है कि यह एक ऊंचे टीले पर बना मंदिर है। जिसके तीन तरफ कब्र ही कब्र है। पास में ही एक मजार और मस्जिद भी है। कुछ सीढ़ियां चढ़कर मंदिर में प्रवेश किया जा सकता है। यहां जो तीनों शिवलिंग आकार, उकार और मकार हैं। वह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं।”

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