वाराणसी
श्रीलक्षचण्डी महायज्ञ में आयोजित 8 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन रही कृष्ण जन्मोत्सव की धूम
पूज्य भाई श्री ने गंगा आरती में सम्मिलित हो लिया मां भगवती का आशीर्वाद
वाराणसी। संकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में परम पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज के सानिध्य में कोरोना महामारी के शमन हेतु चल रहे 51 दिवसीय विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ की श्रृंखला में आयोजित दिन 8 दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन बुधवार को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कथा के दौरान जैसे भगवान का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान लोग झूमने-नाचने लगे।
कथा व्यास पूज्य भाईश्री श्री रमेश भाई ओझा जी ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जब पृथ्वी पर पाप और पापियों की संख्या बढ़ने लगती है तो पृथ्वी गौ रूप धारण कर शिवजी के पास जाती हैं और कहती हैं कि हे प्रभु पाप और पापियों की संख्या बढ़ती जा रही इन्हें रोकिए अपने त्रिनेत्र खोलिए और अब नष्ट कर दीजिए। शिव जी कहते हैं सर्वनाश तो अंतिम उपाय है। पहले इन्हें सुधारने का प्रयास करिए और परम पिता सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा जी के पास जाइये। वहाँ भी सब कोई सकारात्मक उपाय नहीं मिलता तो वह सृष्टि को चलाने वाले प्रभु नारायण के पास जाती हैं। प्रभु उनकी व्यथा सुनकर उन्हें वचन देते हैं कि वह पृथ्वी पर भूभाग, भूपराग, भूप- राग और साधु संतों की सुरक्षा के लिए तीसरा अवतार लेंगे।
इधर मथुरा में माता देवकी का वासुदेव जी से विवाह होता है और परंपरानुसार माता देवकी का चचेरा भाई सारथी बनकर उन्हें ससुराल छोड़ने जाता है। रास्ते मे आकाशवाणी होती है कि माता देवकी का आठवां पुत्र कंस का काल बनकर जन्म लेगा। कंस यह सुनते ही बौखला जाता है और माता देवकी और वासुदेव जी को कारागार में बन्द कर देता है। माता देवकी के 6 शिशुओं की वह हत्या कर चुका होता है और उनका सांतवा गर्भ ठहरने से पूर्व ही गर्भ का पुत्र नंदजी के घर रह रही रोहिणी जी के गर्भ में चला जाता है, जो बलदाऊ के रूप में जन्म लेता है। फिर माता देवकी का आठवां गर्भ ठहरता है। 9 माह बाद जब प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म समय आता है तब स्वयं प्रकृति अपना रूप बदल लेती हैं। जोरदार वर्ष होती है। पूरा गांव जलमग्न हो जाता है। उनके जन्म के बाद जेल के ताले टूट जाते हैं, पहरेदार सो गये। वासुदेव व देवकी बंधन मुक्त हो गए। प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं। भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव ने भरी जमुना पार करके उन्हें गोकुल पहुंचा दिया। वहां से वह यशोदा के यहां पैदा हुई शक्तिरूपा बेटी को लेकर चले आये। जिसके बाद कंस को पता लगते ही वह कारागार में पहुंच जाता है और शक्तिस्वरूपा माता देवकी की पुत्री को पत्थर की दीवार पर दे मारता है। जब तक वह समझ पाता वह अदृश्य हो जाती हैं और कहती हैं अरे मूर्ख तू क्या मरेगा मुझे, तेरा काल तो अपने सही स्थान पर पहले ही पहुंच चुका है। वही कहलाती है विंध्यवासिनी मां विंध्याचल। इधर गोकुल में कृष्ण जन्मोत्सव पर नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गीत पर भक्त जमकर झूमे।
इससे पूर्व भाई श्री ने कहा कि श्रीमद भागवत में लिखा जा नारायण की कृपा से ही सबकुछ सम्भव है। इनकी कृपा के बिना कुछ भी सम्भव नही। नारायण की कृपा से गूंगा बोलने लगता है और एक समय आता है कि बोलने वाला मौन हो जाता है। बोलना परमात्मा की पूजा और मौन हो जाना परमात्मा की परीक्षा है। जो सबके लिए आते हैं वह अवतार है और जो किसी विशेष के लिए आते हैं वह अनुभूति है। परमात्मा क्रिया सत्य नहीं कृपा सत्य हैं।
उन्होंने महाराज परिक्षति के जन्म व श्राप की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान की कथा से पूर्व भक्तों की चर्चा है श्रीमद भागवत में इसलिए यह भागवत है। भगवान नरसिंह हैं क्योकि प्रह्लाद हैं, राम आये क्योकि कोई शबरी उनकी प्रतीक्षा कर रही थी, श्रीकृष्ण रासलीला हुई क्योकि गोपियों का प्रेम है। जिस प्रकार हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है उसी प्रकार भागवत चरित्र, उपदेश, रूपक, गीत और स्तुति से मिलकर बना है। प्रभु के 24 अवतारों का वर्णन है जो चरित्र है। जीवन को सफल और सार्थक बनाने वाले उपदेश हैं। उपदेशों को समझाने के लिए रूपक की सहायता ली गई है। रुद्र गीत, गोपी गीत, वेणु गीत है और भागवत की स्तुति सिर्फ भागवत में ही है। भागवत दिव्य और अलौकिक है। भागवत में कथा के साथ विचारों का सागर है। कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण की दिव्य झांकी भी सजाई गई। कथा के अंत मे श्रद्धालुओं ने भागवत जी की आरती की। साथ ही वृंदावन के राधा सर्ववेश्वर समूह के रासलीला समूह द्वारा भी नृत्य गीत की प्रस्तुति की गई।यज्ञशाला में प्रतिदिन होने वाली गंगा आरती में भी पूज्य भाईश्री ने शामिल होकर मां भगवती का आशीर्वाद लिया।
कार्यक्रम में परम पूज्य स्वामी प्रखर जी महाराज, महायज्ञ समिति के अध्यक्ष श्री कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनील नेमानी, संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल, डॉ सुनील मिश्रा, अमित पसारी, शशिभूषण त्रिपाठी, अनिल भावसिंहका, मनमोहन लोहिया, अनिल अरोड़ा, विकास भावसिंहका समेत हजारों लोग उपस्थित रहे।