वाराणसी
आधा नहीं पूरा चाहिए कश्मीर – स्वामी राम भद्राचार्य जी महाराज
श्री लक्षचण्डी महायज्ञ में आयोजित 2 दिवसीय संत सम्मेलन के समापन समारोह में अभिनेता अरुण गोविल ने की शिरकत
वाराणसी। संकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में परम पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज के सानिध्य में कोरोना महामारी के शमन हेतु चल रहे 51 दिवसीय विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ की श्रृंखला में 32वें दिन दो दिवसीय संत सम्मेलन का समापन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक और लौकिक मंगलाचरण के साथ हुआ। इसके बाद मंच पर विराजमान अन्नत विभूषित पीठाधीश्वर सन्तो व परम् पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इसके बाद अतिथि स्वरूप विरजित संतों को रुद्राक्ष की माला से माल्यार्पण कर व अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अपने आशीर्वचन में परम पूज्य स्वामी प्रखर जी महाराज ने कहा कि काशी में जिसकी निष्ठा नहीं उसे मोक्ष नहीं। काशी ही हृदय है, धड़कन है, ब्रह्म है चैतन्य है। काशी से बढ़कर कुछ भी नहीं। काशी को न वाणी से प्रकाशित किया जा सकता है न प्रमाणित किया जा सकता है। जब-जब सृष्टि में उपद्रव हुआ यहीं से उद्धार हुआ है। इस यज्ञ के माध्यम से हम भगवती से यही प्रार्थना करते हैं कि हिंदुस्तान के लोग विश्व भर का संरक्षण करते हुए शांति से रहें।
इस अवसर पर देर शाम पधारे जगद्गुरू स्वामी राम भद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि हम सन्धि संत स्वामी प्रखर जी महाराज के आह्वान पर लक्षचण्डी का आह्वान कर रहे हैं। नारी को कहीं बेटी तो कहीं देवी कहा जाता है। लेकिन भारत ही एक ऐसा देश है जहां नारी को देवी का जाता है। यहाँ सदा से ही “या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥” के मंत्र के साथ भगवती की आराधना की जाती रही है। क्योकि भगवती के द्वारा असम्भव से असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण हम इस लक्षचण्डी महायज्ञ के माध्यम से देख रहे है। जिस कोरोना से पूरा विश्व परेशान था अब उसका प्रभाव कम हो रहा है। मेरी इच्छा है कि एक लक्षचण्डी यज्ञ ऐसा भी होना चाहिए जब पूरा कश्मीर हमारा हो। लोग कहते हैं ” दूध मांगोगे खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे चीर देंगे”। हमें चाहिए और पूरा कश्मीर चाहिए। मेरी भगवती से यह प्रार्थना है कि भगवती हम भारतीयों और भारतीय सैनिकों को ऐसी शक्ति प्रदान करें कि 2024 तक पूरा कश्मीर हमारा हो। जब तक भारत मे 80 प्रतिशत हिन्दू नहीं होंगे भारत की विडंबनाओं का नाश नहीं होगा। इसके साथ ही हमें हिंदी को राष्ट्र भाषा, राम चरित्र मानस को राष्ट्रीय ग्रन्थ और गौमाता को राष्ट्रीय पशु के रूप में घोषित करवाना है। संतों को शांति के समय माला और क्रांति के समय भाला उठा लेना चाहिए। अब बहुत हुआ ॐ शांति अब करना है क्रांति, ऐसी कठोर क्रांति जिससे हम अपना अधिकार प्राप्त कर सकें।
इनसे पूर्व रामानंद सागर द्वारा निर्देशित रामायण में श्रीराम का किरदार निभाने वाले प्रख्यात अभिनेता अरुण गोविल ने भी कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि यह बड़े सौभाग्य की बात है की बाबा की नगरी काशी जैसे पवित्र धरा पर ऐसे दिव्य संतों के चरणों मे वंदन करने का अवसर मिला है आज मुझे। यह कहीं न कहीं प्रभु की इच्छा ही है और प्रभु की इच्छा भी हमारे पास संतों के माध्यम से ही आती है। संतों से हमे अध्यात्म से लेकर जीवन जीने तक की शिक्षा मिलती है। इसलिए संतों से मेरी प्रार्थना है कि हम सभी पर अपना आशीर्वाद बनाये रखें। इसके बाद अरुण गोविल ने यज्ञशाला का में विराजमान मां भगवती का पूजन अर्चन कर परिक्रमा की।
सम्मेलन की अध्यक्षता पीठाधीश्वर स्वामी शरणानंद जी महाराज ने की। संचालन महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानंद सरस्वती ने किया। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर राजगुरु स्वामी विशोकानन्द भारती जी महाराज, पंचायती अखाड़े के महंत महानिर्वाणी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्रपुरी जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी चन्द्रेश्वर गिरी जी महाराज, स्वामी बालकदास जी महाराज, स्वामी सर्वेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज, महंत राघवदास जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी अशुतोषानंद गिरी जी महाराज ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में स्वामी पूर्णांनन्द जी महाराज, आचार्य सुभाष तिवारी, महायज्ञ समिति के अध्यक्ष श्री कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनील नेमानी, संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल, डॉ सुनील मिश्रा, अमित पसारी, शशिभूषण त्रिपाठी, अनिल भावसिंहका, मनमोहन लोहिया, अनिल अरोड़ा, विकास भावसिंहका आदि लोग उपस्थित रहे।