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गाजीपुर

स्वच्छता पखवाड़ा बना दिखावा, गांवों में बदहाल सफाई व्यवस्था

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भांवरकोल (गाजीपुर)। सरकारी तंत्र द्वारा होने वाले विभिन्न संचारी रोगों से बचाव के लिए हर साल नियमित रूप से चलने वाला स्वच्छता अभियान पखवाड़ा इस साल भी युद्ध स्तर पर स्थानीय विकास खंड क्षेत्र में चलाया जा रहा है। इस दौरान अन्य मौसमों में स्वच्छता के प्रति उदासीन रहने वाला सरकारी तंत्र थोड़ा जाग जाता है।

बताते चलें कि इस समय स्थानीय विकास खंड क्षेत्र में स्वच्छता पखवाड़ा अभियान चलाया जा रहा है। गांव की गलियों, चट्टी-चौराहों व सार्वजनिक स्थानों की साफ-सफाई की जा रही है। कोई ऐसा गांव नहीं जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी का अंबार न लगा हो और गलियां बदबूदार कीचड़ से भरी होने के कारण महक न रही हो।

इसी का एक उदाहरण ग्राम सभा वीरपुर में भी देखने को मिला, जहां प्राइमरी स्कूल से लेकर गंगा घाट तक जाने वाली सड़क के पूर्वी तरफ की नाली गंदगी से भरी हुई और महक रही है। यही नहीं, गांव की अंदर की नालियां भी इसी स्थिति में हैं। सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि शिवालय की तरफ जाने वाले रास्ते पर सार्वजनिक पूरा करकट ग्रामीणों द्वारा फेंक कर अंबार लगाया हुआ है, जो सड़क पर फैल रहा है। सार्वजनिक शौचालय की बगल में भी गंदगी का भरमार लगा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां कुछ क्षेत्रों में सफाई कर्मी दिखाई ही नहीं देते और गलियों की नालियों से बदबूदार दुर्गंध निकलती है।

स्थानीय प्रशासन तंत्र चट्टी-चौराहों की सफाई कराकर यह सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है कि विकास खंड क्षेत्र के समस्त ग्राम पंचायतों में नियुक्त सफाई कर्मी अपने सफाई कार्य को ठीक तरह से अंजाम दे रहे हैं, जबकि गांव में देखा जा सकता है कि यहां नियुक्त सफाई कर्मी कभी-कभार ही दिखाई देते हैं। नियमित सफाई न होने से नालियां बजबजा रही हैं और कूड़ा-करकट से सार्वजनिक जगहें भरी पड़ी हैं।

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यदि समय रहते ज़मीनी स्तर पर गांवों की सफाई नहीं की गई तो संचार रोग – डेंगू, काला ज्वर, मस्तिष्क ज्वर, मलेरिया, टायफाइड, चेचक, चिकनगुनिया, हैजा इत्यादि को फैलने से कोई रोक नहीं सकता। और फिर स्थानीय क्षेत्र में डॉक्टरों को कैंप लगाकर रोगों की रोकथाम और प्रभावितों का इलाज करना पड़ेगा।

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