वाराणसी
खतरनाक स्तर पर पहुंचा गंगा का जलस्तर, 84 घाटों से टूटा संपर्क

वाराणसी। सावन की शुरुआत के साथ ही वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। गंगा की उमड़ती जलधारा ने घाटों पर होने वाले अनुष्ठान कार्यक्रमों से लेकर जनजीवन तक को अस्त-व्यस्त कर दिया है। दशाश्वमेध घाट पर स्नान कर बाबा विश्वनाथ के गंगा द्वार पहुंचने का रास्ता भी पूरी तरह से बंद हो गया है।
महाश्मशान मणिकर्णिका घाट के तल पर अब सिर्फ एक ही शव जलाने की जगह बची है। गंगा के बढ़ते जलस्तर के चलते प्रशासन ने नौका संचालन पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी है।
गंगा का पानी तेजी से सीढ़ियों तक ऊपर आता जा रहा है। ऐसे में नाविकों, पुरोहितों और घाटों पर पर्यटकों पर आश्रित छोटे दुकानदारों की कमाई पर संकट खड़ा हो गया है। बहाव और लगातार बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने शुक्रवार से सभी छोटे-बड़े मोटरबोट और नावों के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
सावन में आने वाले कांवड़ियों की सुरक्षा को लेकर भी विशेष सतर्कता बरती जा रही है। घाट किनारे जल पुलिस और एनडीआरएफ को तैनात किया गया है। पुलिस कमिश्नर ने विभागों को साफ हिदायत दी है कि घाटों और जल क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं।

पाट पर PAC के जवान भी तैनात कर दिए गए हैं। शुक्रवार सुबह 8 बजे जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा का जलस्तर 65.70 मीटर दर्ज किया गया, जिसमें बढ़ने की रफ्तार 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे रही। गुरुवार रात 8 बजे जलस्तर 65.40 मीटर था, यानी 48 घंटे में करीब 2 मीटर की वृद्धि हुई। गुरुवार रात गंगा के बढ़ने की रफ्तार 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे दर्ज की गई थी।
फिलहाल गंगा के जलस्तर में स्थिरता या कमी आने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। अस्सी घाट पर नाव संचालन करने वाले अज्जू बताते हैं कि इस बार सावन महीने के पहले ही दिन गंगा का पानी घाट की सीढ़ियों के ऊपर आ गया है। अभी पूरा सावन और भादो मास बाकी है। छोटे-बड़े सभी मोटरबोट और बजड़े के संचालन पर रोक लगने से हमारी कमाई पर भारी असर पड़ा है।