सोनभद्र
पूर्वांचल राज्य की मांग हुई तेज, भाषायी आधार पर गठन की उठी आवाज़

सोनभद्र। भोजपुरी भाषियों के अधिकार और क्षेत्रीय विकास को लेकर पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा ने एक बार फिर पृथक पूर्वांचल राज्य की मांग को बुलंद किया है। जनमोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव एडवोकेट पवन कुमार सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश का पूर्वी भाग, जिसे पूर्वांचल कहा जाता है, आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। यहाँ की लगभग 10 करोड़ की आबादी में से बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र के दो करोड़ से अधिक युवा बेरोजगारी के शिकार हैं और रोज़गार की तलाश में मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई, बंगलोर और गुजरात जैसे बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। यह स्थिति केवल स्थानीय संसाधनों के दोहन और उपेक्षा का परिणाम है। इसका स्थायी समाधान एक पृथक पूर्वांचल राज्य के गठन में ही है।
पवन सिंह ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुस्तक थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स का हवाला देते हुए कहा कि बाबासाहेब ने भी उत्तर प्रदेश को तीन हिस्सों में विभाजित करने की बात कही थी।
इसलिए भोजपुरी भाषी क्षेत्र को उसकी सांस्कृतिक और भाषायी पहचान के आधार पर अलग राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आज़ादी के बाद से ही भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग चलती रही है। 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम में फज़ल अली आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्यों का गठन हुआ, जिनमें भाषा और संस्कृति को आधार बनाया गया।
उस समय 14 राज्य और 6 केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए, लेकिन पूर्वांचल जैसे क्षेत्रों की मांग अब भी अधूरी है।जनमोर्चा ने यह स्पष्ट किया कि अब समय आ गया है कि भोजपुरी भाषी जनता को उनका हक मिले और पूर्वांचल राज्य का गठन कर इस क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त किया जाए।