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वाराणसी

मंडल स्तरीय कृषि रक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

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वाराणसी मंडल में शुक्रवार को बहुउद्देशीय किसान कल्याण केंद्र, कलेक्ट्री फार्म, चांदपुर, वाराणसी में कृषि रक्षा अधिकारियों और तकनीकी कर्मचारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संयुक्त कृषि निदेशक, वाराणसी मंडल ने की और इसे उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा), वाराणसी के नेतृत्व में आयोजित किया गया।

इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य आई.पी.एम. (समेकित नाशीजीव प्रबंधन) तकनीक और कृषि रक्षा की नवीनतम विधियों से अधिकारियों और कर्मचारियों को अवगत कराना था। इस अवसर पर डॉ. मनीष पांडेय, वैज्ञानिक (कृषि विज्ञान केंद्र, कल्लीपुर), जिला कृषि रक्षा अधिकारी, जौनपुर और राम सागर त्रिपाठी, सेवानिवृत्त विषय विशेषज्ञ ने सहभागिता की।

कार्यक्रम का शुभारंभ संयुक्त कृषि निदेशक द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। उन्होंने अधिकारियों को नवीन तकनीकों की विस्तृत जानकारी दी। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने बताया कि किसानों द्वारा अत्यधिक कीटनाशकों के प्रयोग से लागत बढ़ती है और मुनाफा कम होता है। उन्होंने आई.पी.एम. तकनीक अपनाकर कम लागत में अधिक लाभ कमाने पर जोर दिया।

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आई.पी.एम. तकनीक के तहत यलो स्टिकी ट्रैप कार्ड, नीम तेल का छिड़काव और ढैंचा की बुवाई जैसी विधियों से कीट नियंत्रण के प्रभावी उपाय सुझाए गए। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि धान की फसल में कंडुवा रोग से बचाव के लिए बीज शोधन और फसल चक्र अपनाना चाहिए। साथ ही गेहूं की फसल के सुरक्षित भंडारण के लिए 10 प्रतिशत से कम नमी होने पर ही भंडारण की सलाह दी गई।

सेवानिवृत्त विषय विशेषज्ञ राम सागर त्रिपाठी ने जैविक विधियों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने फसल अवशेष जलाने के बजाय उसे खेत में मिलाने की सलाह दी, जिससे मृदा की उर्वरता बनी रहती है।

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जिला कृषि रक्षा अधिकारी, जौनपुर ने बताया कि 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाएगा, जिसके तहत चूहों से फैलने वाली बीमारियों की रोकथाम के उपाय सुझाए गए।

कार्यक्रम के अंत में प्रभात कुमार श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया और जिला कृषि रक्षा अधिकारी, वाराणसी की अनुमति से कार्यक्रम का समापन किया गया।

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