वाराणसी
“हर सनातनी के होने चाहिए चार से पांच बच्चे” : देवकीनंदन ठाकुर

“स्कूल-कॉलेज पढ़ाई के लिए हैं, पूजा के लिए नहीं”
वाराणसी। जनपद के सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रही कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर महाराज की कथा का आज समापन हो गया। कथा के अंतिम दिन व्यास पीठ से उन्होंने वक्फ बोर्ड द्वारा एक पुराने स्कूल पर भेजे गए नोटिस और फिर उसे वापस लेने के मामले पर अपनी बात रखी। उन्होंने सवाल उठाया कि जब नोटिस वापस ले लिया गया है, तो उस स्थान पर मजार क्यों बनी हुई है।
“स्कूल पढ़ाई के लिए हैं, पूजा के लिए नहीं”
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, “अगर कोई स्कूल-कॉलेज है, तो वह पढ़ने की जगह है। वहां बच्चों को प्रेम से पढ़ने दिया जाना चाहिए। प्रशासन को ऐसे स्थानों से धार्मिक गतिविधियों को हटाकर उचित व्यवस्था करनी चाहिए।” उन्होंने कुरान का हवाला देते हुए कहा कि, “जबरन किसी जगह कब्जा कर नमाज पढ़ने को भी स्वीकार नहीं किया गया है।”
सनातनियों के 4-5 बच्चे होने चाहिए
कथावाचक ने मंच से जनसंख्या को लेकर एक बड़ी बात कही। उन्होंने कहा, “हर सनातनी व्यक्ति के 4-5 बच्चे होने चाहिए। यह मजाक नहीं है। अगर आप ‘हम दो, हमारे दो’ की सोच पर चलेंगे, तो आने वाले समय में हिंदुस्तान-हिंदुस्तान नहीं रहेगा।”
उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग की और कहा कि, “जब तक यह कानून नहीं बनता, तब तक हर सनातनी को अपनी जनसंख्या बढ़ाने की जरूरत है।”
भागवत ग्रंथ को बताया संस्कारों की यूनिवर्सिटी
देवकीनंदन ने भागवत ग्रंथ को एक अनमोल धरोहर बताते हुए कहा कि, “हर समस्या का समाधान इस ग्रंथ में है। उन्होंने सुझाव दिया कि हर परिवार को इस ग्रंथ को अपने घर में रखना चाहिए और इसे पढ़कर जीवन में उतारना चाहिए।”
सनातन बोर्ड के गठन की मांग
कथावाचक ने फिर से ‘सनातन बोर्ड’ के गठन की वकालत की। उन्होंने कहा कि, इससे 90% समस्याओं का समाधान हो जाएगा। उन्होंने धार्मिक स्थलों पर कब्जा और प्रसाद में मिलावट जैसे मुद्दों को उठाते हुए कहा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए यह बोर्ड बेहद जरूरी है।
कथा के अंतिम दिन हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। देवकीनंदन ठाकुर की बातों पर लोगों ने सहमति जताई और जोरदार तालियां बजाईं। उन्होंने सरकार से अपील की कि सनातन बोर्ड के गठन को प्राथमिकता दी जाए।