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वाराणसी

सारनाथ में 14वें दलाई लामा का 90वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया

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कमिश्नर बोले- “गांधी और दलाई लामा के विचार एक जैसे”

वाराणसी। सारनाथ स्थित केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के अतिश सभागार में 14वें परम पावन दलाई लामा का 90वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। तिब्बती समुदाय इस वर्ष को करुणा वर्ष के रूप में मना रहा है। कार्यक्रम की शुरुआत संस्कृत और भोटि भाषा में मंगलाचरण से हुई। इसके बाद 50 किलो का केट काटकर दलाई लामा के स्वास्थ्य, लंबी आयु और करुणा पूर्ण जीवन की कामना की गई। कार्यक्रम में दलाई लामा पर 30 मिनट की डाक्यूमेंट्री भी दिखाई गई।

कार्यक्रम की प्रस्तावना करते हुए डॉ. अविनाश चंद्र पांडेय (निदेशक, अंतर विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र, नई दिल्ली) ने कहा कि दलाई लामा खुद को आधा भिक्षुक और आधा वैज्ञानिक मानते हैं। उनका मानना है कि आध्यात्म और विज्ञान के मेल से मानवता और मस्तिष्क दोनों को बेहतर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मस्तिष्क एटम बम बनाने के लिए नहीं, मानवता की रक्षा के लिए बना है। आंतरिक शक्ति और बोधिचित्त के अभ्यास से मन को साधा जा सकता है।

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गेस्ट ऑफ ऑनर वाराणसी कमिश्नर एस राजलिंगम राजू ने कहा कि गांधी और दलाई लामा के विचारों में करुणा, दया और मानवता की समानता है। यही विचार आने वाले समय की जरूरत हैं जो मनुष्यता को बचा सकते हैं।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. ए के त्यागी ने कहा कि ज्ञान से मानवता की भलाई नहीं हो सकती, जब तक समाज में मानवीय गुणों का विकास न हो। दलाई लामा यही कार्य पूरी दुनिया में कर रहे हैं और वे सच में ‘रियल हीरो’ हैं। अगर आज हम यह संकल्प लें कि मानवता और प्रकृति की रक्षा करेंगे तो यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धा होगी।

बीएचयू के कुलपति प्रो. संजय कुमार ने कहा कि जब दुनिया संघर्ष और अशांति के दौर से गुजर रही है तब दलाई लामा का संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है। वे पर्यावरण संरक्षण के प्रबल समर्थक हैं और मानते हैं कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हमें धरती की रक्षा करनी होगी।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए तिब्बती संस्थान के कुलपति प्रो. डब्ल्यू डी नेगी ने कहा कि करुणा का अभ्यास करने से न सिर्फ दूसरों के दुख कम होते हैं बल्कि अपने दुख भी प्रबंधित होते हैं। करुणा के बिना जीवन अधूरा है।

पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने कहा कि दलाई लामा ने धर्म, विज्ञान, पर्यावरण और महिला अधिकारों पर शिक्षा और ज्ञान का प्रसार किया। उनकी शिक्षाएं पूरी दुनिया को प्रभावित करती हैं और वे एक विश्वव्यापी हस्ती बन चुके हैं।

इस अवसर पर सारनाथ के सभी बिहारों के बौद्ध भिक्षु, संस्थान के अधिकारी, कर्मचारी और लगभग 300 छात्र उपस्थित रहे। अतिथियों का स्वागत डॉ. हिमांशु पांडेय ने किया, धन्यवाद ज्ञापन कुल सचिव डॉ. सुनीता चंद्रा ने और संचालन डॉ. महेश शर्मा ने किया। कार्यक्रम पूरी गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ।

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