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वाराणसी

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शोध शून्य, शिक्षकों की कमी

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0.1 अंक से ए ग्रेड से चूका

वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इस बार नैक मूल्यांकन में महज 0.1 अंक से ए ग्रेड पाने से चूक गया। विश्वविद्यालय को 2.99 अंक मिले, जबकि ए ग्रेड के लिए न्यूनतम 3 अंक आवश्यक थे। इस बार विश्वविद्यालय को बी प्लस प्लस ग्रेड मिला है।

नैक ग्रेडिंग में गिरावट के पीछे कई कारण सामने आए हैं। पिछले छह वर्षों से विश्वविद्यालय में एक भी शोध कार्य नहीं हुआ। वर्ष 2018 के बाद कोई शोध गतिविधि नहीं चलाई गई। शिक्षकों की संख्या भी लगातार घट रही है। पहले जहां 60 शिक्षक कार्यरत थे, अब यह संख्या घटकर 27 रह गई है। सेवानिवृत्त शिक्षकों के स्थान पर नियुक्तियां नहीं हो पाईं। पुस्तकालय के उन्नयन समेत अन्य आधारभूत सुविधाओं में भी अपेक्षित सुधार नहीं हुए।

उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय से उत्तर प्रदेश समेत महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, बिहार, राजस्थान, सिक्किम, हरियाणा, पश्चिम बंगाल के 550 से अधिक कॉलेज संबद्ध हैं। हर पांच वर्ष पर नैक मूल्यांकन अनिवार्य है, परंतु इस बार यह दस साल बाद हुआ। वर्ष 2014 में हुए पिछले मूल्यांकन में विश्वविद्यालय को 3.4 अंक मिले थे और ए ग्रेड प्राप्त हुआ था।

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कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि अब शोध कार्यों को प्रारंभ कराने की पहल शुरू कर दी गई है। हालांकि, वर्तमान मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर ग्रेड सुधारना विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा।

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