गाजीपुर
वीरपुर-बांठां पंप कैनाल सूखी, किसानों की उम्मीदें टूटी

भांवरकोल (गाजीपुर)। स्थानीय विकास खंड की वीरपुर-बांठां पंप कैनाल, जो बारह किमी लंबी है, कभी करईल क्षेत्र के किसानों के लिए जीवनरेखा मानी जाती थी। लगभग पैंतीस साल पहले इस नहर के निर्माण से किसानों को यह उम्मीद जगी थी कि उनके खेतों में समय से सिंचाई का पानी मिलेगा और धान, गेहूं जैसी फसलें भरपूर होंगी। लेकिन यह सपना आज बालू की टीले की तरह ढह चुका है।
स्थिति यह है कि मनिया ग्राम के राजस्व गांव मनोहरपुर से आगे नहर का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है। बारह किमी लंबी नहर का पानी मिर्जाबाद के बाद आगे नहीं बढ़ पाता। मिर्जाबाद वीरपुर से मात्र चार किमी की दूरी पर है। इस समय वीरपुर के किसानों की जरूरतें ही पूरी नहीं हो पा रही हैं, तो मिर्जाबाद के बाद के गांवों को पानी मिलना असंभव हो गया है।
बलुआ-तरांव माइनर में तो पिछले दस सालों से पानी गया ही नहीं है और आमी माइनर का पानी भी वीरपुर और बदौली तक ही सीमित रह गया है। मिर्जाबाद से बांठा तक पानी पहुंचने का सवाल ही नहीं उठता, जिससे करईल क्षेत्र के दर्जनों गांवों के खेत सूखे पड़े हैं। तीसरा माइनर, जो टोडरपुर के लिए जाता है, उसमें भी पानी का प्रवाह नहीं हो पा रहा है। राजमार्ग-31 की अंडरग्राउंड पुलिया के आगे मनोहरपुर, माचा, धनेठा जैसे गांव आज तक इस नहर से सिंचाई का पानी नहीं देख पाए।
एक बड़ी समस्या यह भी है कि कई स्थानों पर किसानों ने नहर की जमीन काटकर उसे अपने खेत में मिला लिया है, जिससे पानी का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है। पंप कैनाल के निर्माण के कुछ वर्षों बाद ही इसका रखरखाव ठप पड़ गया। कर्मचारियों की लापरवाही और मशीनों की खराबी ने भी हालात बिगाड़े। आज हालत यह है कि बारह किमी लंबी नहर में महज तीन किमी तक ही पानी पहुंच पा रहा है। शेष नहर खुद पानी के लिए तरस रही है।
इन दिनों धान की रोपाई का समय है और किसान पानी के बिना बेबस हो चुके हैं। सवाल उठता है कि जब नहर में पानी ही नहीं है तो पंप कैनाल के निर्माण का औचित्य क्या बचा है? किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं जयप्रकाश, हरिप्रसाद सिंह, राजेश यादव, लोरीक यादव, सुनील राय, धुपन यादव, कपिल ठाकुर, बृजेश पगड़ी वाला, प्रेम यादव, प्रमोद यादव, इम्तियाज अंसारी, फैसल अंसारी आदि ने संबंधित अधिकारियों से मांग की है कि नहर की जगह-जगह की कटाई को अविलंब मरम्मत कर पूरा किया जाए, ताकि पानी बांठा तक पहुंच सके और किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर सकें।