अपराध
वाराणसी लूटकांड : इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता और फर्जी ओएसडी धर्मेंद्र चौबे पर एफआईआर

41 लाख की लूट के बाद तीन दिन में करा लिया लखनऊ में तबादला
वाराणसी। सारनाथ थाना क्षेत्र के रुद्रा हाइट्स अपार्टमेंट में 7 नवंबर को हुई 41 लाख रुपये की लूट मामले में पुलिस ने इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता और खुद को मुख्यमंत्री का ओएसडी बताने वाले धर्मेंद्र चौबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई वायरल हुए सीसीटीवी फुटेज और जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर की गई है।
लूट की पूरी वारदात
सारनाथ थाना के तत्कालीन एसएचओ परमहंस गुप्ता ने सिविल ड्रेस में अपार्टमेंट पर छापा मारा। उनके साथ धर्मेंद्र चौबे नामक व्यक्ति भी मौजूद था, जिसने गार्ड को खुद को सीएम का ओएसडी बताया। छापे के दौरान अपार्टमेंट में जुआ खेल रहे शहर के बड़े कारोबारियों से करीब 41 लाख रुपये वसूले गए। सीसीटीवी फुटेज में इंस्पेक्टर और धर्मेंद्र चौबे को लिफ्ट से बैग लेकर बाहर निकलते देखा गया।
वारदात के 3 दिन बाद परमहंस गुप्ता ने लखनऊ के अधिकारियों से सेटिंग कर अपना तबादला सीबीसीआईडी, लखनऊ करा लिया। मामले की गंभीरता को भांपते हुए पुलिस कमिश्नर ने उन्हें पहले लाइन हाजिर और फिर सस्पेंड कर दिया।
एफआईआर दर्ज और जांच शुरू
सारनाथ थानाध्यक्ष विवेक कुमार त्रिपाठी ने इस मामले में इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता और धर्मेंद्र चौबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। जांच में अपार्टमेंट के मालिक और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।
डीसीपी वरुणा चंद्रकांत मीना के आदेश पर एडीसीपी को जांच सौंपी गई है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने विशेष टीम गठित की है। साथ ही धर्मेंद्र चौबे और अन्य संदिग्धों की लोकेशन ट्रेस की जा रही है।
पुराने विवाद भी आए सामने
इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता का विवादों से पुराना नाता है। चेतगंज और चोलापुर थानों में तैनाती के दौरान भी उनके खिलाफ कई शिकायतें दर्ज हुई थीं। बावजूद इसके, जुगाड़ के दम पर उन्होंने कई जगह मलाईदार कुर्सियां हासिल की।
पुलिस की छवि पर सवाल
इस घटना ने पुलिस विभाग की कार्यशैली और अंदरूनी साजिशों को उजागर कर दिया है। हालांकि, एफआईआर और जांच के बाद पुलिस ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश शुरू कर दी है। अब देखना होगा कि आरोपी कब तक गिरफ्त में आते हैं।