वाराणसी
वाराणसी में बिजली कर्मचारियों का निजीकरण विरोध, मुख्यमंत्री से प्रस्ताव निरस्त करने की मांग

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले वाराणसी के बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ जनचेतना अभियान चलाया। इस दौरान कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग की और कहा कि बिना बिजली उपभोक्ताओं और कर्मचारियों की राय लिए निजीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं होनी चाहिए।
भिखारीपुर स्थित हनुमानजी मंदिर के पास आयोजित इस सभा में बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारी और अभियंता शामिल हुए। संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बिजली का निजीकरण न तो आम जनता के हित में है और न ही कर्मचारियों के। निजीकरण के कारण उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा और कर्मचारियों की सेवा शर्तें प्रभावित होंगी।
सदस्यों ने यह भी बताया कि बिजली क्षेत्र में सबसे बड़े हितधारक उपभोक्ता और कर्मचारी हैं इसलिए उनके बिना किसी सहमति के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि बिजली की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किया जाए और इसे सार्वजनिक किया जाए।
वक्ताओं ने उत्तर प्रदेश के आगरा और ग्रेटर नोएडा के निजीकरण प्रयोगों के विफल उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि आगरा में टोरेंट कंपनी को दिए गए निजीकरण से पावर कारपोरेशन को भारी नुकसान हुआ जबकि सरकारी क्षेत्र में केस्को ने बेहतर परिणाम दिए हैं।
समिति ने यह संकल्प लिया कि बिजली का निजीकरण पूरी तरह अस्वीकार्य है और इसके खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष जारी रहेगा। सभा की अध्यक्षता ई. मायाशंकर तिवारी ने की जबकि संचालन अंकुर पाण्डेय ने किया।