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वाराणसी

वाराणसी में तीन दिवसीय क्षेत्रीय कृषि मेला का शुभारंभ

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वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में शनिवार को तीन दिवसीय विशाल क्षेत्रीय कृषि मेला का शुभारंभ किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उद्घाटन कार्यक्रम में दीप प्रज्वलन के साथ ही देवी सरस्वती की आराधना स्वरूप गीत प्रस्तुत किया गया। संस्थान के निदेशक डॉ तुषार कान्ति बेहेरा ने प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत करते हुए मेले की प्रासंगिकता पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला और संस्थान द्वारा कृषक हितों में सतत रूप से कार्य करते रहने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

कृषि मेला में 7 राज्यों यूपी, एमपी, उत्तराखंड, बिहार, झारखण्ड, उडीसा, हिमाचल प्रदेश के किसान शामिल हुए। पहले दिन 3 हजार से अधिक किसान शामिल हुए। कार्यक्रम में 8 तकनीकी सत्रों में कृषि विशेषज्ञों से किसानों का सीधा संवाद किया गया। जिसमें बागवानी, जैविक खेती, खाद्य प्रसंस्करण, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ड्रोन तकनीकियों पर विशेष रूप से चर्चा हुई। इस कार्यक्रम में सरकारी एवं निजी प्रतिष्ठानों के 77 स्टाल लगे हैं।

मेला के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की सरकार किसानों के हित में कार्य करने हेतु कृतसंकल्प है। आज न देश केवल खाद्य उत्पादन में आत्म निर्भर हो चला है बल्कि हम विदेशों में कृषि उत्पादों का निर्यात भी कर रहे है और उसके माध्यम से किसानों को आर्थिक मजबूती मिल रही है। माननीय मंत्री जी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सक्रियता से किये जा रहे कृषि एवं किसान उपयोगी कार्यों की विस्तृत जानकारी दी नए कृषि विश्विद्यालयों की स्थापना, केवीके की स्थापना, विपणन प्रणाली में व्यापक सुधार, खाद्य प्रसंस्करण के अवदान शामिल हैं।

समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. मंगला राय, पूर्व सचिव एवं महानिदेशक, आइसीएआर ने सेकेंडरी एग्रीकल्चर यानि उद्यागों के अवशेषों के मूल्य संवर्धन के माध्यम से किसानों को लाभ पहुचाने का आवाहन किया. उन्होंने कहा कि बात तो जैविक फार्मिंग की होती है परन्तु अवशेषों के प्रसंसकरण के माध्यम से वेस्ट को वेल्थ में परिवर्तित करके किसानों को लाभ पहुँचाया जा सकता है। उद्घाटन सत्र में विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, संस्थानों के निदेशकों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ ही छात्र छात्राएं, किसान, उद्यमी, स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं सम्मिलित रहीं।

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