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वाराणसी

लक्ष्य के सापेक्ष शत-प्रतिशत बच्चों व गर्भवती का टीकाकरण सुनिश्चित कराएं – सीएमओ

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राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर आयोजित हुई त्रैमासिक समीक्षा बैठक

नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के सुदृढ़ीकरण को लेकर सीएमओ ने दिये निर्देश

वाराणसी: मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय स्थिति प्रशिक्षण केंद्र पर बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम की त्रैमासिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने की।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तिमाही आंकड़ों की समीक्षा की। सीएमओ ने कहा कि नगरीय क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों व गर्भवती महिलाओं के लक्ष्य के सापेक्ष शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित कराएं। टीकाकरण के प्रति उदासीन परिवार को प्रेरित कर बच्चों व गर्भवती का टीकाकरण सुनिश्चित कराएं। घनी व मलिन बस्तियों, दूर दराज के क्षेत्रों, घुमंतू परिवारों के बच्चों का टीकाकरण करने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को प्रोत्साहित करें। उन्होंने समस्त नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, अराजीलाइन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) व सेवापुरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की लक्ष्य के सापेक्ष कम उपलब्ध को लेकर नाराजगी व्यक्त की। सीएमओ ने जल्द से जल्द इसको पूरा करने के लिए कहा। साथ ही समस्त चिकित्सा अधीक्षक, प्रभारी चिकित्साधिकारियों समेत स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक (बीपीएम), ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (बीसीपीएम) को निर्देशित किया कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को लगातार सुदृढ़ीकरण किया जाए। इसमें लापरवाही पाये जाने पर संबन्धित अधिकारी व स्वास्थ्यकर्मी पर कार्रवाई की जाएगी।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (प्रतिरक्षण) डॉ एके मौर्य ने कहा कि सर्दियों में जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों में बाहरी संक्रमण का खतरा अधिक होता है। इसलिए जन्म पर बर्थ डोज़ के साथ ही डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन माह, नौ माह, 16से 24 माह और पाँच वर्ष पूर्ण होने पर सभी टीका समय से लगवाएँ। इसके अलावा 10 व 16 वर्ष पर डीपीटी का टीका जरूर लगवाएँ। डॉ मौर्य ने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को 11 बीमारियों से बचाव के लिए टीका लगाया जाता है जिनमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, क्षय (टीबी), हेपेटाइटिस-बी, निमोनिया, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी संक्रमण, डायरिया रोटा वायरस और खसरा-रूबेला (एमआर) शामिल है। गर्भवती को टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका लगाया जाता है।
इसके अलावा बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने समस्त नगरीय व ग्रामीण स्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के अधीक्षक समेत स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक (बीपीएम), ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (बीसीपीएम) को निर्देशित किया कि सीएचसी पर बायो मेडिकल वेस्ट को व्यवस्थित रूप से प्रबंधन करें। ओपीडी सेवा, चिकित्सकों सहित समस्त स्टाफ की उपस्थिती, केंद्र पर मौजूद उपकरण, जांच, लैब सुविधा के साथ ही औषधियाँ की उपलब्ध्ता को लेकर निर्देशित किया। केंद्र पर तैनात लैब टैकनीशियन और फार्मासिस्ट के कार्यों की मॉनिटरिंग करें। आयुष्मान भारत – हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) व हेल्थ सुपरवाइज़र के कार्यों की मॉनिटरिंग की जाए। समस्त एएनएम की जियो फेसिंग के माध्यम से उपस्थिती की मॉनिटरिंग की जाए। सीएमओ ने समस्त ब्लॉक सीएचसी के नोडल अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह अपने ब्लॉक की नियमित भ्रमण, मॉनिटरिंग व समीक्षा करे।
इस मौके पर एसीएमओ डॉ राजेश प्रसाद, डीएचईआईओ हरिवंश यादव, डिप्टी डीएचईआईओ कल्पना सिंह व उषा ओझा, जिला सलाहकार डॉ सौरभ प्रताप सिंह, एआरओ अनूप उपाध्याय, सतीश शुक्ला, संजय कुमार, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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