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रुद्र महायज्ञ का समापन, श्रीमद्भागवत कथा की महिमा पर हुई चर्चा

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भांवरकोल (गाजीपुर)। स्थानीय विकासखंड के सलारपुर-अजईपुर में आयोजित रुद्र महायज्ञ के अंतिम दिन श्रीमद्भागवत कथा की प्रासंगिकता पर व्याख्यान हुआ। सुप्रसिद्ध कथावाचिका अयोध्या वासिनी प्रज्ञा शुक्ला प्रसून जी ने उपस्थित भक्तों को श्रीमद्भागवत कथा की महिमा का बोध कराया।

उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत, हिन्दू धर्म के अठारह पुराणों में से एक, भक्ति योग पर आधारित है और भगवान कृष्ण को परम देव के रूप में प्रतिष्ठित करता है। यह कथा न केवल भगवान के प्रति गहरी भक्ति उत्पन्न करती है, बल्कि मन को शुद्ध करने का मार्ग भी प्रदान करती है।

प्रज्ञा शुक्ला ने श्रीमद्भागवत की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा:

श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। यह सभी वेदों का सार है और साधना, भक्ति एवं ज्ञान का समन्वय प्रस्तुत करती है। कथा में प्रेरणादायी उपाख्यानों का संग्रह है, जो जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से भर देता है।

यह कथा मोह, शोक और भय को नष्ट करती है और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। इसके श्रवण से व्यक्ति के दुःख, आसक्ति और भय समाप्त हो जाते हैं।

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प्रसून ने आगे कहा कि श्रीमद्भागवत कथा कलियुग में और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है क्योंकि यह मानसिक शांति और जीवन में संतुलन बनाए रखने में सहायक है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण कर अपने जीवन को सार्थक बनाने का संकल्प लिया। महायज्ञ के समापन पर भक्तों ने हवन-पूजन कर क्षेत्र में सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।

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