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वाराणसी

मुस्लिम बंधुओं ने उतारी महंत की आरती, दिखी सांस्कृतिक एकता की मिसाल

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वाराणसी। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर काशी के पातालपुरी मठ में गुरुवार को सांस्कृतिक एकता की अनूठी तस्वीर सामने आयी। सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं और पुरुषों ने रामानंदी संप्रदाय के पातालपुरी मठ में जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी महाराज की आरती उतारी और तिलक लगाकर उनका स्वागत किया। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने महंत को रामनामी अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित किया।

उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा गुरु और शिष्य के रिश्ते को मजबूत करने का सबसे बड़ा पर्व है। जीवन में सफलता और लोक कल्याण का मार्ग बिना गुरु के संभव नहीं। शहाबुद्दीन तिवारी, मुजम्मिल, फिरोज, अफरोज, सुल्तान, नगीना और शमशुनिशा ने दीक्षा लेकर प्रसन्नता जताई। शहाबुद्दीन तिवारी ने कहा कि हमारे पूर्वज रामपंथी थे। पूजा पद्धति बदल सकती है, लेकिन परंपरा, रक्त और संस्कृति नहीं बदलती।

नौशाद अहमद दूबे ने कहा कि ज्ञान के लिए गुरु ही सर्वोच्च हैं। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी ने कहा कि गुरु के बिना राम तक पहुंचना असंभव है। गुरु ही अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं।

जगद्गुरु बालक देवाचार्य जी महाराज ने कहा कि रामपंथ सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है, जिसमें किसी भी धर्म, जाति के व्यक्ति के लिए भेदभाव की कोई जगह नहीं। राम का नाम प्रेम, दया और शांति का दर्शन है। धर्म के नाम पर हिंसा करने वाले अधर्मी हैं।

इस मौके पर आदिवासी समाज के बच्चों को भी दीक्षा देकर संस्कृति के प्रसार की जिम्मेदारी सौंपी गई। जगद्गुरु ने कहा कि सभी लोग भारत की महान संस्कृति को दुनियां के कोने-कोने तक पहुंचाएं और पूर्वजों से जुड़ें।

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