वाराणसी
महाकुंभ से वाराणसी की अर्थव्यवस्था में बूम

महाकुंभ 2025 के दौरान वाराणसी की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बढ़ावा मिला। 45 दिनों में पांच करोड़ श्रद्धालु बनारस पहुंचे, जिससे होटल, रेस्तरां, परिवहन और छोटे व्यवसायों को भारी मुनाफा हुआ। श्रद्धालुओं ने कुल 54 हजार करोड़ से 67,500 करोड़ रुपये तक खर्च किए, जिससे स्थानीय व्यापार में तीन से चार गुना वृद्धि देखी गई।
प्रो. अनूप कुमार मिश्र के अध्ययन के अनुसार, हर श्रद्धालु ने औसतन 3,000 से 4,000 रुपये प्रतिदिन खर्च किए। इससे स्थानीय वेंडर्स की आय 3-4 गुना तक बढ़ी। वाराणसी के 1.5 से 2 लाख छोटे वेंडर्स ने 45 दिनों में 675 करोड़ से 900 करोड़ रुपये तक कमाए।
ई-रिक्शा और ऑटो-रिक्शा चालकों की आमदनी तीन गुना तक बढ़ गई। पहले 1,500 रुपये प्रतिदिन कमाने वाले ई-रिक्शा चालक अब 4,500 से 5,000 रुपये प्रतिदिन कमा रहे हैं, जबकि ऑटो-रिक्शा चालकों की आमदनी 2,000 से बढ़कर 6,000-6,500 रुपये प्रतिदिन हो गई।
महाकुंभ के कारण जिले में ईंधन की खपत भी बढ़ी। जनवरी 2025 में 27 लाख किलो से अधिक सीएनजी की खपत हुई, जो आम महीनों की तुलना में पांच लाख किलो अधिक रही। डीजल की खपत भी 14 हजार लीटर से बढ़कर 19 हजार लीटर तक पहुंच गई।
स्थानीय पर्यटन स्थलों पर भी भीड़ बढ़ी, जिससे होटल, रेस्तरां और हस्तशिल्प उद्योगों को फायदा हुआ। बनारसी साड़ियों और स्थानीय उत्पादों की बिक्री में भी तेजी आई।महाकुंभ के दौरान वाराणसी की अर्थव्यवस्था को मिला यह बूस्ट शहर के व्यापार और पर्यटन के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ।