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वाराणसी

फीस न जमा होने पर स्कूल ने बच्चों को परीक्षा से किया वंचित, अभिभावकों का हंगामा!

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मीडिया और प्रशासन से न्याय की गुहार

वाराणसी। सेंट जॉन्स स्कूल लेढूपुर में सोमवार को उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया, जब 30-35 बच्चों को फीस न जमा होने के कारण परीक्षा देने से वंचित कर दिया गया। यूनिट टेस्ट की शुरुआत के पहले दिन यह घटना सामने आई, जिसमें कक्षा 9 तक के बच्चों और 11वीं के छात्रों के लिए आयोजित परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया।

फादर हेनरी का निर्देश
स्कूल प्रशासन की ओर से फादर हेनरी ने यह निर्देश जारी किया कि जिन बच्चों की फीस बकाया है, वे परीक्षा नहीं देंगे। इसके बाद स्कूल के टीचर्स और स्टाफ ने बच्चों की सूची तैयार कर उन्हें कक्षा से बाहर निकाल दिया और स्कूल के एक हॉल में बैठा दिया।

अभिभावकों की अपील ठुकराई
परेशान बच्चे फादर हेनरी से गुहार लगाने पहुंचे, लेकिन उन्हें कोई सुनवाई नहीं मिली। अभिभावकों ने भी अपनी समस्या रखने का प्रयास किया, लेकिन फादर हेनरी ने स्टाफ के जरिए उन्हें स्कूल से बाहर करवा दिया। यह भी आरोप लगाया गया है कि कुछ बच्चों, जो क्रिश्चियन मिशनरी से संबंधित थे या स्टाफ वार्ड थे को परीक्षा देने की अनुमति दी गई, जबकि अन्य बच्चों को रोक दिया गया।

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बच्चों और अभिभावकों में नाराजगी
इस घटना से बच्चों और अभिभावकों में भारी रोष है। उन्होंने इसे अनुचित और भेदभावपूर्ण करार दिया। एक अभिभावक ने कहा कि, “यह बच्चों के अधिकारों का हनन है। फीस के कारण बच्चों को शिक्षा और परीक्षा से वंचित करना अनुचित है,”

मीडिया और प्रशासन से न्याय की गुहार
अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने मीडिया और प्रशासन से इस मामले में दखल देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि फादर हेनरी और मिशनरी संस्थान के ऐसे क्रूर और भेदभावपूर्ण रवैये को उजागर किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

मंगलवार को बच्चों ने दी परीक्षा 

मिली जानकारी के मुताबिक, मामला बढ़ता देख स्कूल प्रशासन ने जिन बच्चों का फीस जमा नहीं था उन्हें मंगलवार को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी। अब सवाल यह उठता है अगर सिर्फ 1 से 2 महीने की फीस जमा न हो और उसके बाद भी बच्चों को परीक्षा देने से वंचित कर दिया जाए तो इससे विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक सकता है लेकिन स्कूल प्रशासन को इतनी मोहलत तो देनी चाहिए कि अभिभावक और छात्र के ऊपर किसी तरह का मानसिक दबाव न हो। स्कूल की रिक्त फीस भरने का 30 दिन का अतिरिक्त मौका देना चाहिए ताकि ऐसे में अभिभावक पैसे का बंदोबस्त कर सकें।

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