सियासत
नेपाल में ‘प्रचंड सरकार’ गिरी, ओली और देउबा संभालेंगे प्रधानमंत्री पद

ओली सरकार की वापसी से चीन की ‘चांदी’ या भारत से और करीब आएगा नेपाल
काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड शुक्रवार को संसद में विश्वास मत प्राप्त करने में विफल रहे। प्रचंड ने विश्वास प्रस्ताव में बहुमत ना मिलने की वजह से अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है। इसके साथ ही नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (CPN-UML) के नेता पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में नई गठबंधन सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।
CPN-UML ने पिछले सप्ताह प्रचंड सरकार से समर्थन वापस लेकर नेपाली कांग्रेस के साथ मिलकर नई सरकार बनाने का समझौता किया है। ओली और नेपाली कांग्रेस नेता शेर बहादुर देउबा बारी-बारी से डेढ़-डेढ़ वर्ष के लिए प्रधानमंत्री पद संभालेंगे।
नई सरकार बनाने का दावा ठोकने के बाद ओली ने कहा कि उन्हें 166 सांसदों का समर्थन हासिल है। इन सांसदों में से खुद उनकी पार्टी UML के 78 और नेपाली कांग्रेस के 88 सांसद शामिल हैं। नेपाल में मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता कोई पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी कई बार मौजूदा सरकार के गिरने या गिराने के बाद दूसरी पार्टी ने सत्ता में वापसी की है।
विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि, सत्ता में ओली की वापसी से चीन का फायदा हो सकता है। के पी ओली के चीन के साथ संबंध शुरू से ही अच्छे रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अगर ओली सरकार ने इस बार सत्ता में वापसी करने के बाद भारत के प्रति अपना रुख नहीं बदला तो चीन के सामरिक प्रभाव के कारण इसका असर कुछ हद तक ही सही लेकिन भारत-नेपाल के रिश्ते पर जरूर पड़ेगा।