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डीजे की जगह पारंपरिक वाद्य यंत्रों का हो उपयोग : चेतन उपाध्याय

केंद्रीय विद्यालय, इफको फूलपुर में ध्वनि प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम संपन्न
साइलेंस जोन में सख्त नियम
प्रयागराज। केंद्रीय विद्यालय के 62वें स्थापना दिवस के अवसर पर शनिवार को केंद्रीय विद्यालय, इफको फूलपुर, प्रयागराज में ध्वनि प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में सत्या फाउंडेशन के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने विद्यार्थियों को ध्वनि प्रदूषण के खतरों और इसके रोकथाम के उपायों पर महत्वपूर्ण जानकारी दी।
ध्वनि प्रदूषण के खतरे और समाधान
चेतन उपाध्याय ने बताया कि ध्वनि को नापने की इकाई डेसीबल है और 40-50 डेसीबल की ध्वनि मानव स्वास्थ्य के लिए उचित मानी जाती है। वहीं, शादी-विवाह और अन्य आयोजनों में उपयोग किए जाने वाले डीजे का स्तर 100-150 डेसीबल तक होता है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि डीजे की जगह पारंपरिक वाद्य यंत्रों का उपयोग करना चाहिए।

कानूनी प्रावधानों की जानकारी
चेतन उपाध्याय ने बताया कि रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक लाउडस्पीकर, बैंड-बाजा, आतिशबाजी और अन्य शोरगुल पर कानूनी रोक है। दिन में भी ध्वनि की सीमा 65-70 डेसीबल तय की गई है। ध्वनि सीमा का उल्लंघन करने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत 1 लाख का जुर्माना या 5 साल तक की सजा हो सकती है।
शिकायत करने के आसान तरीके
उपाध्याय ने छात्रों को बताया कि ध्वनि प्रदूषण की शिकायत 112 पर कॉल या व्हाट्सएप नंबर 7570000100 पर गुप्त रूप से की जा सकती है। इसके अलावा, वीडियो सबूत बनाकर सोशल मीडिया पर डालने और थाने या UPCOP एप के जरिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा भी उपलब्ध है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षण संस्थान, उपासना स्थल, अस्पताल और कोर्ट जैसे साइलेंस जोन में किसी भी प्रकार का शोर-शराबा प्रतिबंधित है। विद्यार्थियों को सड़क पर बेवजह हॉर्न न बजाने और समय पर निकलने की आदत विकसित करने की सलाह दी गई।
कार्यक्रम के प्रारंभ में विद्यालय के प्रधानाचार्य दुर्गा दत्त पाठक ने चेतन उपाध्याय का स्वागत अंगवस्त्रम पहनाकर किया। इफको फूलपुर के वरिष्ठ अधिशासी निदेशक संजय कुदेशिया ने भी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।