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वाराणसी

टीबी के लक्षण दिखाई दें तो स्वास्थ्य टीम को दें पूरी जानकारी

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दो हफ्तों से आ रही खांसी, लगातार बुखार, घट रहा वजन तो हो सकती है टीबी

वाराणसी। यदि आपको दो हफ्तों से ज्यादा समय से खांसी आ रही है। थकावट व कमजोरी महसूस हो रही है। भूख नहीं लग रही अथवा वजन में लगातार कमी आ रही है। रात में बुखार के साथ – साथ पसीना भी आता है। खांसते समय बलगम में खून आता है तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे ही लक्षण वाले संभावित रोगियों को खोजने के लिए दस्तक अभियान 31 जुलाई तक संचालित किया जा रहा है।

अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग कर रही हैं और टीबी के संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उनकी सूची तैयार कर रही हैं। टीबी के लक्षण दिखाई दें तो आशा को इसकी जानकारी जरूर दें। अभियान में अब तक 12 संभावित रोगी पाये गए, सभी की जांच के बाद ही टीबी होने की पुष्टि की जाएगी। इसके साथ ही स्वास्थ्य टीम कुष्ठ, डायरिया, बुखार, खांसी और संचारी रोगों की रोकथाम के लिए लोगों को जागरुक कर रही है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि, जिले में चल रहे दस्तक अभियान के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि भ्रमण के दौरान बुखार, खांसी, किसी प्रकार की एलर्जी, कुष्ठ रोग, टीबी आदि रोगों के लक्षणयुक्त व्यक्तियों की जानकारी लें। सभी संभावित रोगियों को सूचीबद्ध कर उन्हें बचाव के उपाय बताएं। ‘डायरिया रोको अभियान’ के तहत ओआरएस का पैकेट वितरित करें।

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जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ पीयूष राय ने बताया कि वर्ष 2025 तक जनपद को टीबी मुक्त बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए टीबी मरीजों की खोज करके उनका उपचार किया जा रहा है। टीबी का उपचार और जांच पूरी तरह से मुफ्त हैं। दस्तक अभियान के दौरान भी टीबी मरीजों की खोज की जा रही है। इसलिए किसी को टीबी के लक्षण हैं तो वह दस्तक की टीम को अवश्य बताएं।

उन्होंने बताया कि किसी को दो सप्ताह से अधिक की खांसी आ रही है तो वह टीबी का मरीज भी हो सकता है। ध्यान रखना है कि खांसी का ऐसा हर मरीज टीबी का रोगी नहीं होता है, लेकिन अगर यह लक्षण है तो टीबी की जांच जरूर कराई जानी चाहिए। इसके अलावा बलगम में खून, सांस फूलना, तेजी के साथ वजन गिरना, भूख न लगना, रात में पसीने के साथ बुखार आना जैसे लक्षण भी टीबी में नजर आते हैं। अगर किसी के परिवार का कोई सदस्य वा पड़ोसी व रिश्तेदार इन लक्षणों से ग्रसित है तो उसे जांच के लिए प्रोत्साहित करना है। अगर ऐसे लोगों की समय से जांच हो जाए और इलाज हो तो वह न केवल वह ठीक हो जाते हैं, बल्कि दूसरे लोग भी टीबी संक्रमित होने से बच जाते हैं।

डीटीओ ने बताया कि सामाजिक भेदभाव के डर से टीबी मरीज जांच व इलाज के लिए कई बार सामने नहीं आते हैं। अगर एक मरीज की समय से पहचान कर इलाज न हो तो वह वर्ष में दस से बारह लोगों को टीबी संक्रमित कर सकता है, लेकिन यदि ऐसे मरीज को खोज कर तुरंत दवा आरंभ कर दी जाए तो वह तीन हफ्ते बाद किसी को भी संक्रमित नहीं करता है। सरकारी अस्पतालों में टीबी की समस्त जांचे व इलाज की सुविधा उपलब्ध है। मरीजों को इलाज के साथ सही पोषण देने के लिए पांच सौ रुपये प्रति माह की दर से उनके खाते में भी दिये जाते हैं।

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