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जंग लड़े बिना पाकिस्तान की कमर तोड़ रहा भारत

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नई दिल्ली। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में आई तल्ख़ी अब पाकिस्तान के लिए भारी पड़ने लगी है। भारत के सख्त फैसलों ने पहले से चरमराई पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ा दिया है। भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को स्थगित करने, व्यापारिक प्रतिबंध लगाने और अटारी-वाघा सीमा बंद करने जैसे कदमों ने पाकिस्तान के सामने पांच गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

1. सिंधु जल समझौता स्थगन: अन्न संकट की आशंका

भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का सबसे बड़ा असर पाकिस्तान की कृषि पर पड़ा है। पाकिस्तान की 80% खेती सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है, जो उसकी 18% GDP और 40% रोज़गार का आधार है। पानी की कमी से सिंध और पंजाब प्रांतों में 20-30% तक फसल उत्पादन घटने की आशंका है। कराची और लाहौर जैसे शहरों में पीने के पानी का संकट भी गहराने की संभावना है।

2. व्यापार और निवेश में गिरावट

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भारत ने अटारी-वाघा सीमा बंद करते हुए द्विपक्षीय व्यापार पर रोक लगा दी है। इससे पाकिस्तान में दवाओं, कपास और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में 30-50% की वृद्धि देखी गई है। पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज का KSE-100 इंडेक्स 3500 अंक लुढ़क गया है, जबकि विदेशी निवेशकों का भरोसा डगमगाया है। IMF और फिच रेटिंग्स ने पाकिस्तान की विकास दर को घटाकर 2.6% कर दिया है।

3. परिवहन बंद, निर्यात में गिरावट

हवाई मार्ग और अटारी बॉर्डर बंद होने से पाकिस्तान को वैकल्पिक मार्गों का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे आयात-निर्यात लागत बढ़ गई है। इसका सीधा असर पाकिस्तानी निर्यात, विशेषकर कपड़ा उद्योग, पर पड़ा है। अनुमान है कि पाकिस्तान को 1-2 अरब डॉलर का निर्यात घाटा हो सकता है।

4. आंतरिक अस्थिरता: सेना पर दोहरा दबाव

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बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध में पहले से जारी आंदोलन अब और तेज़ हो सकते हैं। पानी और आर्थिक संकट से असंतोष बढ़ने की आशंका है। सीमाई तनाव के बीच आंतरिक मोर्चों पर भी सेना को सक्रिय रहना होगा, जिससे रक्षा बजट में वृद्धि और राजकोषीय घाटा 9% तक पहुंच सकता है।

5. अंतरराष्ट्रीय अलगाव: FATF और विश्व बैंक से झटका

भारत ने संयुक्त राष्ट्र और 13 देशों को पहलगाम हमले के सबूत सौंपे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ और बिलावल भुट्टो की टिप्पणियों ने उसकी कूटनीतिक साख को और चोट पहुंचाई है। FATF में भारत की मजबूत स्थिति और पाकिस्तान के अतीत के रिकॉर्ड से विदेशी निवेश और सहायता की उम्मीदें कमजोर हो गई हैं। सिंधु जल विवाद को विश्व बैंक में चुनौती देना भी पाकिस्तान के लिए आसान नहीं रहेगा।

विशेषज्ञ मानते हैं कि, भारत जिस तरीके से ठोस रणनीति बना रहा है उससे तो भविष्य में पाकिस्तान को पानी के लिए भारत पर निर्भर रहना पड़ेगा। भारत ने अभी युद्ध छेड़े बिना ही पाकिस्तान पर ऐसा दबाव बना दिया है जिससे उसकी अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचा चरमरा रहा है। आने वाले दिनों में यह संकट और गहरा हो सकता है।

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