Connect with us

धर्म-कर्म

काशी में इस जगह स्थित है ‘पंचमुखी हनुमान’ जी का मंदिर

Published

on

पंचमुखी नाम कैसे पड़ा ? पढ़िए श्रद्धा यादव की खास रिपोर्ट –

वाराणसी। हनुमान जी जब भगवान श्री राम को ढूंढते ढूंढते पाताल लोक पहुंचे तब उन्होंने देखा कि अहिरावण हवन कर श्री राम और लक्ष्मण जी की बलि देने की तैयारी में था। हनुमान जी ने अहिरावण को युद्ध के लिए ललकारा और दोनों में युद्ध छिड़ गया। बहुत देर तक भी जब हनुमान जी युद्ध में अहिरावण की मृत्यु करने में सफल नहीं हो पाए, तब उन्होंने मां पार्वती का स्मरण किया। माता पार्वती, हनुमान जी के सामने प्रकट हुई और बताया कि अहिरावण की मृत्यु तभी संभव है जब उसके महल के पांच कोनों में रखे पांच दीपक एक साथ, एक ही समय पर बुझाएं जाएं।

तब हनुमान जी ने महल में खड़े होकर पांच मुख प्रकट किया और अलग-अलग दिशाओं में उन मुखों को घुमा कर दीपक बुझा दिया। इसके बाद हनुमान जी द्वारा अहिरावण का वध संभव हो सका। तभी से पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का आरंभ हुआ। पंचमुखी हनुमान जी के पांच रूपों में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, पूर्व में हनुमान मुख और आकाश की तरफ हयग्रीव मुख है

Advertisement

वाराणसी में पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर रथयात्रा चौराहे के पास स्थित है। यह मंदिर देखने में बेहद सुंदर लगता है। इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा काशी में स्थापित अन्य हनुमान जी की प्रतिमाओं से अलग है। हनुमान जी की इस प्रतिमा के पांच मुख हैं। कहा जाता है कि उनके दर्शन पूजन से सभी प्रकार के पुण्य का फल प्राप्त होता है और मनुष्य रोग-व्याधि से दूर रहता है।

श्रद्धालुओं का मानना है कि पंचमुखी हनुमान की विशाल प्रतिमा के सामने खड़े होकर मांगी गई हर मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। श्रद्धालुओं का यह भी मानना है कि इस मंदिर में आने से उनको असीम आनंद की अनुभूति होती है। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु यहां आकर सवामणि लगते हैं तथा ध्वज एवं नारियल चढा़कर भोग लगाते हैं। मंगलवार और शनिवार के दिन यहां पर भक्तों की काफी भीड़ होती है। इस सिद्ध पंचमुखी हनुमान मंदिर की दूर-दराज तक काफी ख्याति है।

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa