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महाकुंभ भगदड़ हादसा या साजिश ? एटीएस की रडार पर 10 हजार से अधिक संदिग्ध

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सीएए-एनआरसी प्रदर्शनकारियों पर पैनी नजर

प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ की जांच अब हादसे से ज्यादा साजिश की ओर इशारा कर रही है। यूपी और केंद्र सरकार की एजेंसियां इस मामले को सिर्फ एक दुर्घटना मानने के बजाय एक सुनियोजित साजिश के रूप में देख रही हैं। एनआईए, एटीएस, एसटीएफ और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट ने 10 हजार से अधिक संदिग्धों की पहचान की है, जिनमें CAA और NRC प्रदर्शनकारियों की संख्या अधिक है। जांच में ऐसे गैर-हिंदू लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स भी सामने आए हैं, जिन्होंने महाकुंभ को लेकर नकारात्मक टिप्पणियां कीं या इससे जुड़ी जानकारी ऑनलाइन बार-बार सर्च की।

जांच एजेंसियों को महाकुंभ के दौरान ऐसे कई संदिग्धों की गतिविधियां मिली हैं, जिन्हें पहले ही प्रयागराज की ओर न जाने की चेतावनी दी गई थी। बावजूद इसके, इनका मूवमेंट वहां दर्ज हुआ। खासतौर पर वाराणसी और आसपास के 10 जिलों में 16 हजार लोगों को पहले से निगरानी में रखा गया था, लेकिन इनमें से 117 लोग बिना अनुमति के बाहर निकले, जिनमें 50 से अधिक प्रयागराज पहुंचे।

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एटीएस और एसटीएफ ने 600 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले, फेस रिकग्निशन तकनीक और सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर संदिग्धों की पहचान की। 10 हजार से अधिक लोगों को नोटिस जारी किए गए, जिनमें 30% गैर-हिंदू समुदाय से हैं। वहीं, यूपी से बाहर के संदिग्धों का डेटा मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम समेत नौ राज्यों की पुलिस को भेजा गया है।

एजेंसियां जेल में बंद PFI सदस्यों और CAA-NRC विरोध प्रदर्शनों में शामिल रहे लोगों से पूछताछ कर रही हैं। हाल ही में वाराणसी में एक NSUI नेता के बेटे से भी पूछताछ की गई, जिसने महाकुंभ के दौरान सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीमिंग की थी।

यूपी पुलिस और जांच एजेंसियां इस मामले में हर पहलू की गहन जांच कर रही हैं। सोशल मीडिया पर महाकुंभ को लेकर किए गए नकारात्मक कमेंट्स, संदिग्ध गतिविधियां और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल रहे लोगों पर पैनी नजर रखी जा रही है।

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