वाराणसी
राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में सरदार पटेल की जयंती का आयोजन

रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
बारडोली आंदोलन में सफल होने पर मिली सरदार की उपाधि— कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा.
वाराणसी: सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। वे अपने पिता झवेरभाई पटेल और माता लाडबाई की चौथी संतान थे। उन्होंने लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रताआन्दोलन में भाग लिया। स्वतंत्रता आंदोलन में सरदारपटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसानआंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। बारडोली सत्याग्रहआंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की थी।सरदार पटेल स्पष्ट व निर्भीक वक्ता थे। यदि वे कभी गांधीजी व जवाहर लाल नेहरू से असहमत होते तो वे उसे भी साफ कह देते थे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें तीन साल की कैद हुई ।
उक्त विचार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय,वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने आज योगसाधना केंद्र में आयोजित भारत की एकता के सूत्रधार कहे जाने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती पर बतौर अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किया.
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि सरदार पटेल अपनी बेहतरीन नेतृत्व और प्रशासनिक
क्षमताओं के लिए भी जाने जाते थे। पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने सभी रियासतों के राजाओं को यह स्पष्ट करदिया था कि अलग राज्य काउनका सपना असंभव है और भारतीय गणतंत्र का हिस्साबनने में ही उनकी भलाई है उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और राजनैतिक दूरदर्शिता से छोटी रियासतों को संगठित कियाभारत केभौगोलिक एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होने के चलते उनकी जयंती को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 में मनाया गया था।
स्वागत भाषण– अध्यापक परिषद के अध्यक्ष प्रो रामपूजन पाण्डेय ने स्वागत और अभिनंदन करते हुए कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक थे.
अन्य वक्ताओं में-
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय ,वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो रजनीश कुमार शुक्ल ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कुशल राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता,विचारक एवं कानून वेत्ता बताया.
संयोजक एवं धन्यवाद-
प्रो हरिप्रसाद अधिकारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
संचालन–डॉ विशाखा शुक्ला ने सम्पूर्ण जयंती कार्यक्रम का संचालन किया.
कार्यक्रम के प्रारम्भ में–
वैदिक मंगलाचरण,पौराणिक मंगलाचरण.
दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण-
मंचस्थ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन एवं माँ सरस्वती जी एवं सरदार पटेल जी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।
कुलसचिव राकेश कुमार ,प्रो रामकिशोर त्रिपाठी,प्रो हरिशंकर पाण्डेय,प्रो रजनीश कुमार शुक्ल, प्रो रमेश प्रसाद,प्रो शैलेश कुमार मिश्र, प्रो हीरक कांत चक्रवर्ती,प्रो महेंद्र पाण्डेय, प्रो राजनाथ, प्रो दिनेश कुमार गर्ग, प्रो विजय कुमार पाण्डेय, डॉ विद्या चंद्रा,डॉ ज्ञानेन्द्र,डॉ विजेंद्र कुमार
आदि उपस्थित थे.