मिर्ज़ापुर
विन्ध्य महोत्सव में सांस्कृतिक रंगों की बहार, कलाकारों को किया गया सम्मानित

मिर्जापुर। माँ विन्ध्यवासिनी धाम, विन्ध्याचल में चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर आयोजित विन्ध्य महोत्सव अपने सांस्कृतिक रंग में पूरी तरह रंग चुका है। रोडवेज परिसर, विन्ध्याचल में ध्रुव फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में मणिपुर से आए कलाकारों द्वारा प्रस्तुत मणिपुरी नृत्य आकर्षण का मुख्य केन्द्र बना। पारंपरिक वेशभूषा में सजे इन कलाकारों ने मणिपुरी नृत्य के साथ-साथ मार्शल आर्ट व बैंड धुन की शानदार प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया।
कार्यक्रम की भव्यता को और भी रंगीन बनाया आजमगढ़ के हरिहरपुर घराने के शास्त्रीय संगीतज्ञों ने, जिनकी मधुर संगत और राग-रचनाओं ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, प्रयागराज से आए कलाकारों में शिवानी मिश्रा द्वारा प्रस्तुत नृत्य-नाटिका और अंजली तिवारी द्वारा गाए गए देवी गीतों ने भी श्रोताओं की खूब सराहना बटोरी। इसके अतिरिक्त रायबरेली से शिष्टी सिंह परिहार व उनकी टीम ने लोक संगीत की मिठास घोल दी।

प्रयागराज आकाशवाणी से जुड़े राम सुचित तथा मिर्जापुर के स्थानीय कलाकार अजय कुमार दूबे, सूफिया बेगम, जूही विश्वकर्मा, विष्णु प्रजापति, ओम प्रकाश और रानी सिंह ने देवी भजन, देवी जागरण और अन्य पारंपरिक गीतों की मनोहारी प्रस्तुति दी, जिसने माहौल को भक्ति और उत्सव के रंग में सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ विधायक नगर रत्नाकर मिश्र द्वारा देवी चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर किया गया। मणिपुरी कलाकारों की प्रस्तुति से प्रभावित होकर विधायक ने उन्हें 5100 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की तथा सभी कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन, अपर जिलाधिकारी भू-राजस्व सत्य प्रकाश सिंह के साथ अन्य प्रशासनिक अधिकारीगण उपस्थित रहे। सभी प्रस्तुति देने वाले टीमों को चुनरी पहनाकर एवं ग्रुप लीडरों को स्मृति चिन्ह व देवी चित्र भेंटकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र तिवारी उर्फ लल्लू तिवारी ने किया। मंच पर डिप्टी कलेक्टर शक्ति प्रताप सिंह, जिला सूचना अधिकारी ओम प्रकाश उपाध्याय, खंड विकास अधिकारी छानबे सहित बड़ी संख्या में अधिकारी, कलाकार एवं श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।
विन्ध्य महोत्सव की यह सांस्कृतिक संध्या न केवल लोक परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण बनी, बल्कि विभिन्न प्रांतों के कला-संगम का उत्कृष्ट मंच भी सिद्ध हुई।