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गाजीपुर

भक्ति, प्रकृति और परंपराओं का संगम है श्रावण मास

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बहरियाबाद (गाजीपुर)। सावन माह की शुरुआत होते ही सड़कों पर कांवरियों का आगमन तेज हो गया है। हिंदू पंचांग का पांचवां महीना श्रावण, भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। यह मास न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि प्रकृति के साथ जुड़ाव और कई सांस्कृतिक परंपराओं का भी प्रतीक है।

मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान शिव अपनी पत्नी देवी पार्वती के साथ पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस महीने में शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित करते हैं।

सावन सोमवार का विशेष महत्व

श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को ‘सावन सोमवार’ कहा जाता है, जिसका विशेष धार्मिक महत्व होता है। अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की कामना से और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।

कांवड़ यात्रा का महत्व

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श्रावण मास में कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व है। शिवभक्त पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा से जल भरकर कांवड़ में रखते हैं और पैदल चलकर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों पर जल चढ़ाते हैं। यह यात्रा भक्ति, तपस्या और शारीरिक सहनशीलता का प्रतीक मानी जाती है।

रुद्राभिषेक का महत्व

श्रावण मास में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसमें शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, गन्ने का रस आदि से अभिषेक किया जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

पौराणिक कथाएं

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श्रावण मास के महत्व को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला था, तब भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए उसे पान किया। विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने उन पर जल अर्पित किया। इसी स्मृति में श्रावण मास में शिव पर जल अर्पित किया जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए श्रावण मास में कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और विवाह किया।

प्रकृति का सौंदर्य और मौसम

श्रावण मास भारत में मॉनसून का समय होता है। इस दौरान चारों ओर हरियाली छा जाती है, नदियां और तालाब भर जाते हैं, और मौसम सुहावना हो जाता है। प्रकृति का यह हरा-भरा रूप इस महीने को और भी आकर्षक बना देता है।

सांस्कृतिक परंपराएं और त्यौहार

श्रावण मास में कई लोक परंपराएं और त्योहार भी मनाए जाते हैं। हरियाली तीज, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है, विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और झूले झूलती हैं। श्रावण शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है, जिसमें नागों की पूजा कर उन्हें दूध पिलाया जाता है। श्रावण पूर्णिमा को रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है, जिसमें बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं।

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लोकगीत और मेले

ग्रामीण क्षेत्रों में श्रावण मास के दौरान लोकगीत गाने और मेले लगाने की परंपरा है, जो इस महीने को जीवंत बना देती है। श्रावण मास वास्तव में भक्ति, प्रकृति की सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं का अद्भुत संगम है। यह महीना न केवल आध्यात्मिक रूप से भगवान शिव से जुड़ने का अवसर देता है, बल्कि प्रकृति का सम्मान करने और रिश्तों को मजबूत करने की प्रेरणा भी देता है।

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